विनोद तकिया वाला
अभिनेता कुणाल कपूर पिछले दिनों समीक्षकों द्वारा प्रशंसित अपनी आनेवाली फिल्म ‘नोबलमैन : स्पिन टू शेक्सपियर के मर्चेंट ऑफ वेनिस’ के प्रमोशन के सिलसिले में अभिनेता अली हाजी और फिल्म की निर्देशक वंदना कटारिया के साथ दिल्ली पहुंचे। निर्देशक वंदना कटारिया की कुणाल कपूर, अली हाजी, मोहम्मद अली मीर, मुसकान जाफरी, सोनी राजदान, शान ग्रोवर की अहम भूमिकाओं से सजी यह फिल्म 28 जून, 2019 को रिलीज होने वाली है।
यह फिल्म पॉश ऑल ब्वॉयज बोर्डिंग स्कूल ऑफ इंडिया में स्थापित एक बेहद अपरंपरागत कहानी को सामने लाती है। इस फिल्म का प्रीमियर न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल में किया गया था। वंदना कटारिया द्वारा निर्देशित ’नोबलमैन’ को यूडली फिल्म्स ने समर्थित किया है। फिल्म किशोरों के वर्षों के संघर्ष के बारे में बात करती है और बदमाशी (बुलिंग) के प्रासंगिक विषय से संबंधित है, जो उच्च विद्यालयों में व्याप्त है। फिल्म की कहानी 15 साल के एक किशोर शाय की आंखों से चलती है, जो अपनी किशोरावस्था की समस्याओं से जूझ रहा है और बदमाशों के एक गैंग उसे सता रही है। फिल्म का बैकग्राउंड सिर्फ लड़कों की बोर्डिंग स्कूल है, जिसमें शाय को उसके पसंदीदा विषय ड्रामैट्रिक्स में आगे बढ़ने मुरली (कुणाल कपूर) प्रोत्साहित करता है। हालांकि इसकी शुरुआत शेक्सपियर के एक नाटक ’द मर्चेंट ऑफ वेनिस’ में अभिनय करने से शुरू होती है। वह बात आगे चलकर वरिष्ठता, यानी हाइराकरी और अहम की लड़ाई बन जाती है, जिसके चलते जिंदगी और निर्दोषता, दोनों का नुकसान होता है।
इस मौके पर फिल्म की निर्देशक वंदना कटारिया ने कहा, ’हम ऐसी फिल्में बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो हमारे सामाजिक ताने-बाने से जुड़ी हों, जो दर्शकों को आकर्षित करती हों, और साथ ही मनोरंजक भी हो।’ उन्होंने कहा, ’एक धमाकेदार कास्ट के साथ ’नोबलमैन’ मेरे लिए एक रोमांचक यात्रा रही है और हम आशा करते हैं कि दर्शक इसका भरपूर आनंद लेंगे।’
वहीं, कुणाल कपूर से उनके चरित्र के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए यह चरित्र एक आम शिक्षक के व्यक्तित्व के तौर पर बहुत अनूठा है, क्योंकि उसका मानना है कि हर बच्चा अलग होता है और उसके साथ उसी तरह व्यवहार किया जाना चाहिए। इससे अन्य शिक्षक भी उसे नापसंद करने लगते हैं, क्योंकि बच्चों के प्रति चरित्र की पसंद उनके साथ व्यवहार करने का एक नया तरीका सामने लाती है। इसने मुझे आकर्षित किया और मुझे इस भूमिका के लिए प्रेरित किया। फिल्म में मैंने एक प्रतिष्ठित बोर्डिग स्कूल में एक करिश्माई नाटक शिक्षक की भूमिका निभाई है, जो अपने छात्रों को थिएटर सिखाने के अनूठे और अपरंपरागत तरीकों का उपयोग कराते है।’
यह पूछपे पर कि आपने फिल्म की एक अलग अवधारणा और अंग्रेजी प्रारूप की तलाश क्यों की? वंदना कटारिया ने कहा, ‘इसके पीछे का कारण पॉश ऑल बॉयज बोर्डिंग स्कूल की स्थापना है, जहां ऐसी दुनिया इस भाषा की मांग करती है। मुझे लगता है कि यह दर्शकों की संख्या में कमी लाता है, लेकिन यही वह जोखिम है जिसे हम उठाने को तैयार हैं। इस सनकी अवधारणा के लिए मैंने विश्व प्रसिद्ध मर्चेंट ऑफ़ वेनिस को लिया और इसका अनुवाद एक ऑल बॉय पॉश बोर्डिंग स्कूल में किया।’ जबकि, अली हाजी ने न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ बाल अभिनेता का अवॉर्ड जीतने पर अपनी प्रतिक्रिया पर कहा, ‘मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि फिल्म को वहां अत्यधिक मान्यता और सराहना मिली, जिसके कारण मैं निर्देशक वंदना की बहुत आभारी हूं। अव्वल तो मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैंने यह अवॉर्ड जीत लिया है, लेकिन मेरी यह कामयाबी हमारे सामूहिक प्रयास और अटूट समर्पण के कारण ही संभव हो पाया।’
उल्लेखनीय है कि यह फिल्म बहुत ही रचनात्मक और जिम्मेदारी के साथ उन शिक्षण संस्थानों के भीतर के भयावह रूप से हमारा साक्षात्कार कराती है, जो खुद को सांस्कृतिक रूप से श्रेष्ठ बताते हैं।