भारत का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 दिन की यात्रा में अपनी राजनीति जादुई के ऊपर दिखा दिया

थिम्पू भूटान से राजेश शर्मा

थिम्पू भूटान अगस्त 2019 । भारत के मित्र राष्ट्र भूटान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2 दिन के विदेशी दौरा के पड़ोसी  मूलूककों अपनी ओर खींचने के लिए राजनीतिक एवं कूटनीतिक विभिन्न योजनाओं को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपना जादू चल गया । भारत का पड़ोस ओके साथ चलने वाले  नीति को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी17 से 18 अगस्त तक   दो दिवसीय दौरे पर भूटान पहुंचे । पहुंचने के बाद उन्हें भूटान सरकार की ओर से पारो विमान स्थल पर भूटानी परंपरा के तहत  गार्ड ऑफ ऑनर के साथ उन्हें भूटान की यह दूसरी यात्रा के दौरान स्वागत फरमाया गया। इसके बाद उन्होंने थिंपू में स्थित होटल ताज ताशी में भारतीय मूल के लोगों से मुलाकात की। जहां मोदी-मोदी के नारे लगे। इससे पहले पारो से थिंपू के रास्ते पर भारत और भूटानी झंडे लेकर  भूटानी नागरिकों ने अपने जातीय पोशाक के साथ एवं छोटे-छोटे स्कूल के बच्चों ने भारत एवं भूटान के मित्रता का संबंधों को जल का ते हुए उन्हें स्वागत फरमाया गया था । 1907 में स्थापित हुए भूटान का एक अलग सी परंपरा है जिस को बरकरार रखते हुए भारत के प्रधानमंत्री को भूटान के  वर्तमान महाराजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने उनकी राज दरबार में शाही प्रणाली के तहत भूटानी रिती रिवाज के तहत गार्ड ऑफ ऑनर एवं भूटानी भाषा में भूटानी लामा ओं के द्वारा मंत्र उच्चारण करके उन्हें भूटान में स्वागत एवं दोनों देश के मित्रता को बरकरार रखते हुए सम्मान किया गया।

भारत  के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूटान के  प्रधानमंत्री डॉ. लोटे शेरिंग की निमंत्रण  को स्वीकारते हुए 2019 के अगस्त माह में भूटान की राजधानी   में पहुंचकर भूटान के महाराजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और भूटान के चौथे  महाराजा जिग्मे सिग्ये वांगचुक लगाए शाही परिवारों के साथ मुलाकात की एवं दोनों देश की आपसी संबंधों को आने का पास वालों को वाले दिनों में और मजबूती करने को लेकर विभिन्न योजना मुल्क तथा पड़ोसी देशों को किस तरह से चाहल पाल करना है इसको लेकर कूटनीतिज्ञ जादू चलाते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भूटान के दौरान भूटान के साथ 10 योजनाओं पर हस्ताक्षर किया गया जिसका विवरण इस प्रकार है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वागत में भूटान सरकार की ओर से भूटान में राहा ने  वाले लोगों को एक सरकारी सूचना जारी किया था उक्त सूचना से आदेश के अनुरूप भूटान में थिम्पू शहर मे  छोटा छोटा दुकानों को बंद करने के आदेश कर दिया था जिसके तहत भूटान के ताज टासी के पास वाले क्षेत्र का हैंडीक्राफ्ट  छोटा-छोटा दुकानों को मोदी आने से आगे ही बंद करने की तथा भूटान की राजधानी थिंपू में रहनेवाले भूटानी नागरिकों को भूटान की राष्ट्रीय पोशाक पहनकर चल फिर करने की आदेश जारी किया था जिसके तहत थिम्पू शहर में चाहल पहल करने वाले वाहनों को भी रोक दिया गया था । दूसरी और भूटान ने   भारत स्वाधीन दिवसके दिनो से किसि भि देसका हो पर्यटकों को भूटान मे जाने वाले पर्यटकों को पासवर्ड परमिट बंद करके सुरक्षा व्यवस्था कड़ि रुप सुरक्ष व्यवस्था का इंतजाम किया गया था , इसको देखकर भूतानि नागरिकों का इस प्रकार प्रतिक्रिया है कि भारत के प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर सरकार ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को जनप्रतिनिधि के बदले उनके और तब्दील कर दिया था तथा उनकी सुरक्षा के लिए भूटान सरकार ने अपने सुरक्षा कर्मी को  भरोसा नहीं करते हुए भारत को आए हुए सुरक्षाकर्मियों के हाथ पर भूटान के सुरक्षा व्यवस्था का बागडोर सौंप दिया गया था जिसे यहां मालूम चलता है कि भूटान में सुरक्षा व्यवस्था का प्रणाली में भूटान सरकार अभी भी काफी पीछे हैं, जिसको देखकर स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अपना देश अब भारत की और गुलामी करने में तुली हुई है इसे भूटानी नागरिक कदापि बर्दाश्त नहीं करने की प्रतिक्रिया भूटानी नागरिकों का और सुनने को मिला ।

प्रधान मंत्री की भूटान की राजकीय यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन/

करार की सूची

क्र. सं.

                समझौता ज्ञापन/ करार का नाम

भारतीय पक्ष के हस्ताक्षरकर्ता

  भूटान पक्ष के हस्ताक्षरकर्ता

1

भारतीय गणराज्य सरकार के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और भूटान शाही सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार विभाग के बीच दक्षिण एशिया उपग्रह के उपयोग के लिए सेटकॉम नेटवर्क की स्थापना पर समझौता ज्ञापन

निदेशक, सैटकॉम-पीओ, इसरो मुख्यालय, अंतरिक्ष विभाग

निदेशक, डीआईटीटी,सूचना और संचार मंत्रालय, डीआईटीटी

2

विमान दुर्घटना जाँच एकक, सूचना और संचार मंत्रालय, भूटान शाही सरकार और विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो, नागर विमानन मंत्रालय, भारतीय गणराज्य के बीच संबंधित सहयोग पर समझौता ज्ञापन

श्री अरबिंदो हांडा, महानिदेशक, विमान दुर्घटना और जांच ब्यूरो, नागरिक उड्डयन मंत्रालय

श्री पेम्बा वांगचुक, कार्यवाहक सचिव, सूचना और संचार मंत्रालय

3

भारतीय राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन), राष्ट्रीय आसूचना केंद्र, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार विभाग (ड्रुक रिसर्च एंड एजुकेशन नेटवर्क) के बीच समझौता ज्ञापन

आर एस मणि, परियोजना निदेशक, राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क

श्री जिग्मे तेनजिन, निदेशक, डीआईटीटी,सूचना और संचार मंत्रालय

4

मंगदेछु पावर के विक्रय और क्रय के लिए पीटीसी इंडिया लिमिटेड और ड्रुक ग्रीन पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच विद्युत् क्रय करार

दीपक अमिताभ, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक,पीटीसी इंडिया लिमिटेड

डैशो चवांग रिनज़िन, प्रबंध निदेशक,द्रास ग्रीन पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड

5

भूटान राष्ट्रीय विधि संस्थान और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल के बीच न्यायिक शिक्षा और पारस्परिक आदान-प्रदान में सहयोग पर समझौता ज्ञापन

सुश्री रुचिरा कंबोज, भूटान में भारत की राजदूत

माननीय न्यायधीश श्री लोबजंग रिनज़िन यार्गे, महानिदेशक, भूटान राष्ट्रीय विधि संस्थान

6

जिग्मे सिंग्ये वांगचुक स्कूल ऑफ लॉ, थिम्पू, भूटान, और नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बैंगलोर, भारत के बीच दोनों पक्षों के बीच संबंधों को बढ़ाने और कानूनी शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्रों में शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान विकसित करने की मांग के बीच समझौता ज्ञापन।

प्रो. (डॉ) एम. के. रमेश, कुलपति (एफएसी)

श्री सांगे दोरजी, डीन, जिग्मे सिंगे वांगचुक स्कूल ऑफ लॉ

7

भूटान के रॉयल विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के बीच समझौता ज्ञापन

प्रोफ़ेसर अभय करंदीकर, निदेशक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर

श्री निदुप दोरजी, कुलपति, रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ़ भूटान

8

भूटान के रॉयल विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के बीच समझौता ज्ञापन

प्रोफ़ेसर सुभासिस चौधरी, निदेशक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई

श्री निदुप दोरजी, कुलपति, रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ़ भूटान

9

भूटान के रॉयल विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, सिलचर के बीच समझौता ज्ञापन

शिवाजी बंद्योपाध्याय, निदेशक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, सिलचर

श्री निदुप दोरजी, कुलपति, रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ़ भूटान

10

भूटान के रॉयल विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के बीच समझौता ज्ञापन

प्रोफ़ेसरवी. रामगोपाल राव, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली

श्री निदुप दोरजी, कुलपति, रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ़ भूटान

वहीं भूटान के वर्तमान प्रधानमंत्री के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  अलग से एक अलग बैठक की गई। इस बैठक में भारत ने अपने और भूटान को समर्थन में जुटाने के लिए कई तरह के बातचीत  हुआ है जिसका जानकारी भूटान के प्रधानमंत्री कार्यालय का सरकारी सूत्रों ने जानकारी है । दूसरी ओर भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री कि यह यात्रा दिखाती है कि सरकार अपने भरोसेमंद दोस्त भूटान के साथ अपने संबंधों को काफी महत्व  देने की टिप्पणी की है ।इसी दौरान भारत के विदेश मंत्रालय ने दी गई जानकारी अनुसार कहते हैं कि भारत का प्रधानमंत्री के यह दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी की भूटान यात्रा भारत सरकार द्वारा पड़ोस पहले नीति पर जोर दिए जाने के महत्व को दर्शाती है।’ मंत्रालय के अनुसार भारत और भूटान समय की कसौटी पर खरे और विशेष संबंधों को साझा करते हैं। दोनों देशों की सांस्कृतिक धरोहर और लोगों के बीच संपर्क के साथ आपसी समझ और सम्मान का भाव को बरकरार रखने के लिए यह यात्रा किए जाने की बात कही है ।

 2014 के उपरांत भारत के प्रधानमंत्री ने भूटान के दौरे के दौरान भारत और भूटान के बीच पांच अहम समझौते हुए हैं।  जिसे भारत को आने वाले दिनों में काफी लाभ होने की संकेत देखा गया है ।भूटान के प्रधानमंत्री डॉक्टर लोटे छिरिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ई-प्लेक का अनावरण किया जो दोनों देशों के बीच नेशनल नॉलेज नेटवर्क का काम करेगा।

इस मौके पर  भारत का प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने अपने संभाषण पर भूटान के जनता को अपनी ओर खींचने के लिए एवं अपनी इस भूटानी राष्ट्रपति अपना छाप अलग से बनाने के लिए यह शब्द प्रयोग करते हुए कहा है कि — 130 करोड़ भारतीयों के दिलों में भूटान की खास जगह है। मुझे खुशी है कि मैं दूसरे कार्यकाल में भी यहां पहुंचा। भला भूटान जैसा दोस्त और पड़ोसी कौन नहीं चाहेगा। यह हमारे लिए सम्मान की बात है कि हम भूटान के विकास का हिस्सा बने प्रयास में है ।   तथा भारत के प्रधानमंत्री ने भूटानी नागरिकों को उपहार स्वरूप इस आधुनिक युग में लोगों की इच्छा को सम्मान करते हुए भारत के प्रधानमंत्री ने भूटानी नागरिकों को रुपे कार्ड भी लांच किया , जिससे भूटान नागरिकों को अब आने वाले समय में भारत के किसी भी प्रांत में जाकर अपनी खरीदारी करने के लिए उक्त कार्डों से आधुनिक युग का लाभ उठा सकने की बात कहते हुए आज उक्त कार्डो की शुभारंभ करने की घोषणा की है ।

इससे पहले हवाईअड्डे पर पीएम मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। पीएम मोदी के दौरे के दौरान भारत के करीबी दोस्त भूटान के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर किया गया । दौरे पर रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने ‘नेबर फर्स्ट’ देख के तहत भूटान और भारत के रि स्तंभश्तों को महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। पीएम मोदी आपसी हितों से जुड़े विविध विषयों पर व्यापक चर्चा भी करेंगे। यात्रा के दौरान मोदी द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर भूटान पांचवा महाराजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और अपने भूटानी समकक्ष से बातचीत  गोपी और रूप से बातचीत चला । प्रधानमंत्री प्रतिष्ठित रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ भूटान में युवा छात्रों को भी संबोधन करते हुए भारत के प्रधानमंत्री ने भूटान के युवाओं को आने वाले दिन के नए भूटान निर्माण करने एवं भूटान की ओर से आधुनिक युग में लोगों को आगे बढ़ाने के लिए इन युवाओं का प्रमुख भूमिका रहने की बात अपने संबोधन में कहा गया है ।

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूटान के अपने समकक्ष लोटे शेरिंग के साथ व्यापक वार्ता के बाद उनकी 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 4,500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने की शुक्रवार को घोषणा की। मोदी ने मीडिया को दिए बयान में कहा कि उन्होंने भूटान के प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया है कि भारत एक विश्वस्त मित्र के तौर पर भूटान के सर्वांगिण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। प्रधानमंत्री ने भारतीय रूपे कार्ड शुरू करने के भूटान के फैसले के लिए शेरिंग का शुक्रिया अदा किया। रूपे कार्ड डेबिट और क्रेडिट कार्ड पेमेंट नेटवर्क है। भूटान के प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी यात्रा का मुख्य मकसद भारत-भूटान संबंधों को नई ऊंचाईयों पर ले जाना है। साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें भारत में जीएसटी के क्रियान्वयन से प्रभावित हुए भूटानी कारोबारियों की मदद का भी आश्वासन दिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम बेहद प्रसन्न हैं कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने निजी तौर पर हमसे प्रतिबद्धता प्रकट की, हमारा समर्थन किया…भारत सरकार ने हमारी 12वीं पंचवर्षीय योजना का पूरा समर्थन किया है। भारत में जीएसटी लागू होने के बाद प्रभावित हुए हमारे कारोबारियों की भी मदद की जाएगी।’’ बातचीत में दोनों नेताओं ने पहले से मजबूत आपसी द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ करने पर ध्यान दिया। पनबिजली और कारोबार के क्षेत्र पर भी वार्ता हुई। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं की बातचीत में सुरक्षा सहयोग पर भी चर्चा हुई। भूटान रणनीतिक रूप से भारत के लिये अहम पड़ोसी है और दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग भी अच्छा है जो डोकलाम गतिरोध के दौरान नजर आया था। मोदी ने कहा कि भूटान की 12 वीं पंचवर्षीय योजना के लिए भारत 4,500 करोड़ रुपये देगा। भूटान की नई पंचवर्षीय योजना इस साल शुरू होगी और 2022 तक चलेगी

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मोदी ने कहा कि भूटान के साथ पनबिजली पर सहयोग द्विपक्षीय संबंधों का अहम आयाम है और मांगेदाचू परियोजना पर काम जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। मोदी ने कहा हमारे सहयोग में एक नया आयाम अंतरिक्ष विज्ञान का है। मुझे प्रसन्नता है कि साउथ एशियन सेटेलाइन से लाभ उठाने के लिए इसरो द्वारा भूटान में बनाया जा रहा ग्राउंड स्टेशन भी शीघ्र तैयार होने वाला है। इस परियोजना के पूरा होने से भूटान के दूर-दराज के क्षेत्रों में भी मौसम की जानकारी, टेलीमेडिसिन और आपदा राहत जैसे कार्यों में मदद मिलेगी।

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शेरिंग ने कहा कि पनबिजली भूटान के लिए राजस्व का मुख्य स्रोत है। शेरिंग आम चुनावों में अपनी पार्टी की जीत के बाद पिछले महीने हिमालयी देश के प्रधानमंत्री बने थे। कार्यभार संभालने के बाद वह अपनी पहली विदेश यात्रा पर गुरुवार को यहां पहुंचे। शेरिंग ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी देश के पहले राष्ट्राध्यक्ष थे जिन्होंने चुनावी जीत पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने देश की विकास से जुड़ी जरूरतों का समर्थन करने के लिए भी भारत का आभार व्यक्त किया। इससे एक दिन पहले शेरिंग का राष्ट्रपति भवन में पारंपरिक स्वागत किया गया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी शुक्रवार सुबह भूटान के प्रधानमंत्री से मुलाकात की। सुषमा ने भूटान के प्रधानमंत्री का पद संभालने के लिए शेरिंग को बधायी दी और दोनों नेताओं के बीच ‘‘विचारों का गर्मजोशीपूर्ण आदान-प्रदान’’ हुआ। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यह जानकारी दी ।

भारत और भूटान समय की कसौटी पर खरे और विशेष संबंधों को साझा करते हैं और दोनों देश साझी सांस्कृतिक धरोहर और लोगों के बीच संपर्क के साथ आपसी समझ और सम्मान का भाव रखते हैं। दोनों देश आर्थिक और विकास सहयोग सहित द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने पर चर्चा की गई । इसमें पनबिजली क्षेत्र में सहयोग सहित दोनों देशों के लोगों के बीच सम्पर्क को बढ़ाने का विषय भी शामिल हो सकता है ।

 रणनीतिक बफर

नेपाल ने हाल के वर्षों में भारत और चीन दोनों देशों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की कोशिश की है। ऐसे में भारत निश्चित रूप से चाहेगा कि हिमालयी क्षेत्र में उसका प्रभाव पूरी तरह से खत्म न हो। भारत पर निर्भरता होने के बाद भी नेपाल 2017 में चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल में शामिल हो गया जबकि भारत चीन के इस अभियान का विरोध कर रहा है। भारत का मानना है कि पेइचिंग अपनी रक्षा जरूरतों के लिए यह सब कर रहा है। अघोषित सीमा होने के कारण भूटान का चीन से अपना विवाद है। भूटान के चीन या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दूसरे किसी भी देश (अमेरिका, यूके, फ्रांस और रूस) के साथ राजनयिक संबंध नहीं है। नई दिल्ली के साथ भूटान के अपने विशेष संबंध हैं।

2. सैन्य सुरक्षा

चीन और भारत के बीच में भूटान एक बफर के तौर पर है। 2017 में डोकलाम में भारत और चीन दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। रॉयल भूटान आर्मी की गश्त के दौरान पता चला कि भूटान की सीमा में चीन सड़क बना रहा है। इसके बाद भारतीय सेना ने चीन को ऐसा करने से रोक दिया। इसके चलते 75 दिनों तक डोकलाम में गतिरोध बना रहा। दरअसल, चीन यह मांग करता रहा है कि भूटान उसे डोकलाम पठार का 269 वर्ग किमी का इलाका दे दे, जो उसकी सेना अपने हिसाब से भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकती है लेकिन भूटान ने साफ मना कर दिया है।

3. साझा विरासत

भारत के सिक्किम राज्य और भूटान की साझा विरासत है। दोनों पहले स्वतंत्र राज्य थे। 1975 में सिक्किम भारत में शामिल हुआ। सिक्किम और भूटान के शाही परिवार आपस में जुड़े हुए थे। भूटान के लोग भी दलाई लामा को अपना आध्यात्मिक गुरु मानते हैं।

4. सदाबहार मित्र

भूटान ने भारत के साथ 1968 में औपचारिक रूप से राजनयिक संबंध स्थापित किए। 1978 में दूतावास भी स्थापित हो गए। हालांकि दोनों देशों ने 1949 में ही मित्रता संधि पर हस्ताक्षर कर लिए थे। 1971 में भारत के समर्थन से भूटान यूएन में शामिल हुआ। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के दावे को भूटान का खुला समर्थन है।

दोनों देश के संबंधों को देखा जाए तो भारत और भूटान की मात्रिक संधि फरवरी माह 2007 का 8 तारीख से पुणे रिवाज होकर इस तरह से काफी नियमों का आरंभ हुआ था जिसका विवरण इस प्रकार है…………………भारत-भूटान मैत्री संधि पर हस्‍ताक्षर किए जाने के संबंध में सरकारी…

भारत सरकार और भूटान रॉयल सरकार ने आज, भारत-भूटान मैत्री संधि पर हस्‍ताक्षर किए हैं । यह संधि, उस संधि को अद्यतन बनाती है जिस पर 8 अगस्‍त, 1949 को दार्जिलिंग में हस्‍ताक्षर किए गए थे ।

भारत-भूटान मैत्री संधि पर हस्‍ताक्षर, भूटान के साथ हमारे संबंधों में एक ऐतिहासिक क्षण है । यह संधि, बेहतर जीवन स्‍तर के लिए हमारे दोनों देशों की आकांक्षा को पूरा करने के लिए उच्‍चतर स्‍तरीय सहयोग और सद्भाव के लिए हमारे संबंधों के विस्‍तार की हमारी पारस्‍परिक इच्‍छा प्रदर्शित करती है ।

अद्यतन संधि में यह उल्‍लेख है कि भारत और भूटान के बीच स्‍थायी शांति और मैत्री होगी । इसमें से ऐसे प्रावधानों को हटा दिया गया है जो अप्रचलित हो गए थे । इसमें पारस्‍परिक और दीर्घकालिक लाभ के लिए आर्थिक सहयोग को मजबूत करने और उसके विस्‍तार, संस्‍कृति, शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, खेल तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में सहयोग के नए प्रावधान शामिल हैं । इसमें दोनों देशों के नागरिकों के साथ व्‍यवहार अथवा हमारी विद्यमान मुक्‍त व्‍यापार व्‍यवस्‍था में किसी परिवर्तन की परिकल्‍पना नहीं है ।

इस संधि से दोनों देश, अपने राष्‍ट्रीय हितों से संबंधित मुद्दों पर एक दूसरे के साथ घनिष्‍ठ सहयोग करने तथा एक दूसरे की राष्‍ट्रीय सुरक्षा और हितों के विरुद्ध क्रियाकलापों के लिए अपने क्षेत्रों का उपयोग न करने देने के लिए प्रतिबद्ध होंगे ।

पिछले कई दशकों से, भूटान के साथ भारत के संबंध हमारी विदेश नीति का एक स्‍थायी कारक रहा है । साझा हितों और पारस्‍परिक रूप से लाभप्रद सहयोग पर आधारित ये संबंध, अच्‍छे पड़ोसी के संबंधों का एक उत्‍कृष्‍ट उदाहरण हैं । वे हमारे विश्‍वास का प्रतीक हैं कि दक्षिण एशिया की साझा नियति है । आज परिपक्‍वता, विश्‍वास, सम्‍मान और समझ-बूझ तथा निरंतर विस्‍तृत होते कार्यक्षेत्र में संयुक्‍त प्रयास, भारत-भूटान संबंधों की विशेषता है ।

भारत सरकार, भारत-भूटान संबंधों को मजबूत बनाने में भूटान के चतुर्थ ड्रक ग्‍यालपो महामहिम जिग्‍मे सिंग्‍ये वांग्‍चुक के योगदान को काफी महत्‍व देती है । भारत-भूटान मैत्री संधि पर हस्‍ताक्षर से आज, भूटान के पंचम ड्रक ग्‍यालपो महामहिम जिग्‍मे खेसर नमग्‍येल वांग्‍चुक के नेतृत्‍व में इस अद्वितीय और विशेष संबंध को और प्रगाढ़ एवं मजबूत बनाने के नए युग का सूत्रपात हुआ है ।