पत्रकारिता के जूनून को पालने की आवष्यकता : डॉ विपिन गौड़

पत्रकारिता में जल्दीबाजी के कारण दबाव व तनाव बढ़ा

पत्रकारिता समाज सेवा का व समाज का आइना

जनकपुरी,  नई दिल्ली- मेरी कालेज, जनकपुरी में एक विषेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान में न्यूजपेपर एसोसिऐेषन ऑफ़ इंडिया के महासचिव डॉ. विपिन गौड़ ने ‘छोटे और मध्यम प्रसार वाले समाचार-पत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका’ विषय पर व्याख्यान दिया। श्री गौड़ ने कहा कि भारत में प्रतिदिन लाखों की संख्या में समाचार पत्र प्रकाषित होते है पर यह जानकारी बहुत ही कम लोगों को पता होती । उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर जब किसी खबर को बड़े समाचार पत्र प्रकाषित नहीं करते है तो छोटे समाचार-पत्र उन खबरों को प्रकाषित करते है उनपर प्रकाश डालते है । कई बार एसा भी होता है की छोटे समाचार-पत्र ऐसी ख़बरें प्रकाशित करते हैं जिससे सनसनी मच जाती है व बड़े समाचारपत्रों को भी उस खबर को प्रकाशित करना पड़ता है ।

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समाज के बीच मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है समाचार-पत्र को प्रकाषित करने के लिए ले-आउट से लेकर समाचार संकलन के लिए पत्रकार को बहुत मेहनत करनी पड़ती है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि खोजी पत्रकारिता ने देश के बड़े बड़े घोटालों को उजागर किया व   समाज के सामने प्रस्तुत किया पत्रकारिता एक सामाजिक कार्य है। सूचना का अधिकार अधिनियम का उपयोग कर खोजी पत्रकारिता को नया मुकाम हांसिल हुआ है । सरकार के द्वारा संचालित सभी तरह के योजनाओं की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त कर सकते है। लेकिन सूचना का अधिकार उपयोग करने से पहले पुरी योजना का निर्माण सही तरह करना पड़ता है व इसके लिए पत्रकार को पुरी तैयारी करनी पड़ती है। श्री गौड़ ने कहा कि ज्यादातर समाचार पत्र अभिजात्य वर्ग को ज्यादा स्पेस देते है जिसमे कई छोटी छोटी महत्वपूर्ण खबरे दबी रह जाती है लेकिन छोटे समाचार-पत्र सभी ख़बरों को प्रकाषित करते है।

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श्री गौड़ ने कहा की अगर पत्रकारिता करनी है तो पत्रकारिता के जूनून व पागलपन को पलना पड़ता है । पत्रकारिता का स्पार्क समाज को नई दिषा और दषा देने का कार्य करता है। भारत में नागरिक पत्रकारिता का नया दौर व क्रेज शुरू हो रहा है। टीआरपी के चक्कर में कई टीवी चैनल बेकार के कटेंट को दिखाते है जिसका ख़बरों से कोई सम्बन्ध नहीं होता। सूचना के नाम पर मनोरंजन का कटेंट दिखाया जाता है। टीवी में वासरल समाचार को दिखाया जा रहा है, यह पत्रकारिता नहीं है। पत्रकारिता समाज को मार्गदर्षन करने का कार्य करती है | श्री गौड़ ने पत्रकारिता के छेत्र मे कार्य करने वाले लोगों व छात्रों को संस्कृत पड़ने की सलहा भी दी उन्होंने कहा कि संस्कृत पढ़ने वाला व्यक्ति कभी भी आत्महत्या नहीं करता व संस्कृत पड़ने से तनाव भी दूर होता है अक्सर  पत्रकारिता के छेत्र मे काम करने वाला व्यक्ति काफी दबाव व तनाव मे होता है । उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थियों को रोजाना दैनिक समाचार पत्रों को पढने से करेंट अफेयर की जानकारी रहती है जो की पत्रकारिता मे बहुत जरुरी है । कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता विभाग की विद्यार्थी सुहानी अहलुवालिया और उत्कर्ष सिंह सिसोदिया ने किया। कार्यक्रम के अंत में पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. दिलीप कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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