वृत्‍त चित्र फिल्‍म निर्माताओं को वित्‍त पोषण और दर्शकों की कमी की समस्‍याओं का सामना करना पड़ रहा है

भारतीय वृत्‍त फिल्‍म निर्माता एसोसिएशन (आईडीपीए) की अध्‍यक्ष श्रीमती ऊषा देशपांडे ने कहा है कि वृत्‍त चित्र फिल्‍म निर्माताओं को वित्‍त पोषण और दर्शकों की कमी जैसी कई समस्‍याओं का सामना करना पड़ रहा है। वह आज पणजी में 50वें भारतीय अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह में आईडीपीए के महासचिव श्री संस्‍कार देसाई के साथ एक मीडिया सम्‍मेलन को संबोधित कर रही थीं।

उन्‍होंने कहा, ‘ किसी वृत्‍त चित्र फिल्‍म निर्माता की मुख्‍य आवश्‍यकता दर्शकों तक पहुंचना है। हम वृत्‍त चित्र फिल्‍म निर्माताओं के लिए मंच मुहैया कराने के लिए देश भर में स्क्रीनिंग और फिल्‍म समारोहों का आयोजन कर रहे हैं। फिल्‍म समारोहों के सहयोग से, प्रत्‍येक महीने के दूसरे और चौथे शुक्रवार को कई नगरों में फिल्‍म स्क्रीनिंग आरंभ हो चुकी हैं। गुलबर्ग, पुणे, मुंबई, जयपुर, दिल्‍ली इत्‍यादि सहित 20 और नगरों में स्क्रीनिंग आरंभ होने वाली है।‘

 

फिल्‍म स्कूलों और संस्‍थानों के माध्‍यम से शिक्षा की गुणवत्‍ता का उल्‍लेख करते हुए श्रीमती देशपांडे ने कहा कि कई बार गुणवत्‍ता से समझौता किया जाता है और कई संस्‍थान छात्रों को दिग्‍भ्रमित करते हैं। उन्‍होंने कहा, ‘ चूंकि उनमें से अधिकांश निजी संस्‍थान हैं, हम उन्‍हें नियंत्रित नहीं कर सकते। यह नियंत्रण समाज से आना है। ‘ उनकी बात का समर्थन करते हुए श्री संस्‍कार देसाई ने कहा कि वे किसी प्रकार के प्रत्‍यायन या रेटिंग के साथ फिल्‍म स्कूलों की गुणवत्‍ता सुनिश्चित करने के लिए सरकार के साथ काम कर रहे हैं।

श्रीमती देशपांडे ने यह भी कहा कि वृत्‍त चित्र फिल्‍म निर्माता भी लगभग उसी प्रकार कार्य करते हैं जैसे पत्रकार काम करते हैं। उन्‍होंने सावधान किया कि सामाजिक मुद्वों पर कार्य करते हुए व्‍यक्ति को निष्‍पक्ष बर्ताव करना चाहिए।

आकांक्षी फिल्‍म निर्माताओं को प्रशिक्षित करने के लिए एसोसिएशन के प्रयासों पर विस्‍तार से उल्‍लेख करते हुए श्री संस्‍कार देसाई ने कहा कि आईडीपीए छात्रों के लिए कार्यशाला का आयोजन करने के लिए चार विश्‍वविद्वालयों के साथ सहयोग कर रहा है। उन्‍होंने कहा, ‘फिल्‍म निर्माताओं को प्रशिक्षित होना होगा। लेकिन हम इस पक्रिया में केवल सुगमकर्ता हैं। हमारा दूरदर्शन में एक स्‍लॉट है जहां लगभग 60 फिल्‍में पहले ही दिखाई जा चुकी हैं। फिल्‍म निर्माताओं को टेलीकास्‍ट से पैसे मिल रहे हैं। आईडीपीए पुरस्‍कारों के लिए प्रविष्टियों की मांग भी जल्‍द ही शुरु होने वाली है।‘

श्री देसाई ने सरकार से ऐसी फिल्‍म नीति को कार्यान्वित करने के लिए मदद की भी मांग की जो वृत्‍त चित्र फिल्‍म निर्माताओं को नियमित रूप से काम और आमदनी उपलब्‍ध कराए। उन्‍होंने फिल्‍म क्‍लब आरंभ करने की आईडीपीए की योजनाओं का भी खुलासा किया जहां वृत्‍त चित्रों की स्क्रीनिंग हो सकती है।

आईडीपीए आईएफएफआई के दौरान 25, 26 एवं 27 नवंबर को दोपहर 1.30 बजे ओपेन फोरम का भी आयोजन करेगा। ओपेन फोरम के शीर्षक होंगे, ‘ क्‍या देश भर में तेजी से खुल रहे विभिन्‍न फिल्‍म स्‍कूलों द्वारा दी जा रही शिक्षा की गुणवत्‍ता की कोई निगरानी की जा रही है?, रियलिटी आधारित फिल्‍में कितनी वास्‍तविक हैं?, क्‍या स्‍वतंत्र फिल्‍मकार डिजिटल वितरण मंचों से लाभान्वित हो रहे हैं?