केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने आज राष्ट्रीय दुग्ध दिवस–2019 के अवसर पर नई दिल्ली स्थित पूसा में उद्यमियों, दूध उत्पादक किसानों, शिक्षाविदों और मीडिया को संबोधित किया। श्री सिंह ने इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) में शामिल न होकर 10 करोड़ किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने ‘गांव गरीब किसान’ की बेहतरी को सदैव सर्वोच्च प्राथमिकता दी है और ‘आरसीईपी’ किसानों के हित में नहीं है। श्री सिंह ने यह भी कहा, ‘प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि वह भारत के किसानों की जरूरतों की अनदेखी नहीं कर सकते हैं।’
श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि दूध उत्पादन वर्ष 2013-14 के 137.7 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 187.75 मिलियन टन के स्तर पर पहुंच गया है जो 36.35 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इसी तरह दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता वर्ष 2013-14 के 307 ग्राम से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 394 ग्राम के स्तर पर पहुंच गई है। वर्ष 2009 से वर्ष 2014 तक की अवधि के दौरान दूध उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत आंकी गई थी जो वर्ष 2014 से वर्ष 2019 तक की अवधि के दौरान बढ़कर 6.4 प्रतिशत हो गई है। वर्ष 2014 से वर्ष 2019 तक की अवधि के दौरान विश्व दूध उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दर में 1.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि भारत दरअसल वैश्विक डेयरी उद्योग के लिए आशा की किरण है और विश्व स्तर पर उद्यमियों के लिए व्यापक अवसर हैं। उन्होंने कहा कि भारत पिछले 20 वर्षों से निरंतर पूरी दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है। उन्होंने कहा कि पशुधन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा किए गए विभिन्न उपायों की बदौलत ही यह उल्लेखनीय वृद्धि संभव हो पाई है।
श्री सिंह ने यह भी कहा कि पशुधन क्षेत्र भूमिहीन और सीमांत किसानों की आजीविका एवं उनके हितों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देता है। उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 70 मिलियन ग्रामीण परिवार कुल 80 प्रतिशत गायों के साथ डेयरी उद्योग में संलग्न हैं। श्री सिंह ने बताया कि दुग्ध सहकारी समितियों ने कुल दूध खरीद के लगभग 20 प्रतिशत को ऐसे पारंपरिक एवं मूल्य वर्द्धित उत्पादों में तब्दील कर दिया गया है जो लगभग 20 प्रतिशत ज्यादा राजस्व अर्जित करते हैं। उन्होंने कहा कि मूल्य वर्द्धित उत्पादों की इस हिस्सेदारी के वर्ष 2023-24 तक बढ़कर 40 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है।
इस अवसर पर राज्य मंत्री श्री संजीव कुमार बालयान ने कहा कि ‘बेस इफेक्ट’ के कारण 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर अब भी कम है, लेकिन यह आंकड़ा जरूर बदल जाएगा क्योंकि मंत्रालय यह सुनिश्चित कर रहा है कि सभी नीतियों और योजनाओं को इस तरह से तैयार किया जाए जिससे कि पशुधन की गुणवत्ता और दूध की मात्रा दोनों ही बेहतर हो सकें। श्री बालयान ने मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी हेतु एक पृथक मंत्रालय बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद किया जिसका मुख्य उद्देश्य इन क्षेत्रों के विकास पर विशेष जोर देना है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास सीमित संसाधन हैं, अत: निजी क्षेत्र को भी सरकार की पहलों में सहयोग देना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूध में मिलावट को लेकर लोगों के मन में एक धारणा बैठी हुई है जिसे बदलने की जरूरत है।
राज्य मंत्री श्री प्रताप चन्द्र सारंगी ने कहा कि इस सेक्टर में समग्र बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी का समुचित ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अभिनव तरीके अपना कर नस्लों में बेहतरी सुनिश्चित की जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि नीतियों को इस तरह से अनुकूल बनाया जाए जिससे कि घरेलू उत्पादन की गुणवत्ता एवं मात्रा दोनों को ही बेहतर किया जा सके और इसके साथ ही खपत एवं निर्यात में भी वृद्धि संभव हो सके।