केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री तथा कपड़ा मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ुबिन इरानी ने कहा कि उनका मंत्रालय, नीति आयोग तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय एकीकृत बाल सेवा कार्यक्रम (आईसीडीएस) को मजबूत बनाने के उपायों पर विचार कर रहे हैं ताकि लक्षित बच्चों को लाभ मिले। उन्होंने कहा कि कुपोषण केवल समाज के गरीब वर्ग की महिलाओं और बच्चों तक सीमित नहीं है, शहरी इलाकों में संपन्न परिवारों के बच्चे भी कुपोषण के शिकार हैं। उन्होंने कहा कि उचित पोष्टिकता बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के पौष्टिक खाद्य के चयन पर निर्भर करता है। महिला और बाल विकास मंत्री ने बताया कि 2006 और 2016 के बीच पौष्टिकता के स्तर में 40 प्रतिशत का सुधार हुआ है।
महिला और बाल विकास मंत्री कल नई दिल्ली में पोषण अभियान के श्रेष्ठ व्यवहारों तथा नवाचारों पर उत्तरी क्षेत्रीय कार्यशाला का उद्घाटन कर रही थीं। श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी ने बताया कि सरकार बाल विवाह रोकथाम अधिनियम में संशोधन पर विचार कर रही है, ताकि संबंधित एजेंसियों के लिए बाल विवाह के मामलों की रिपोर्ट करना अनिवार्य हो सके। महिला और बाल विकास मंत्री ने यह बात 18 वर्ष से कम आयु की विवाहित लड़कियों के बड़ी संख्या में गर्भवती होने के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कही। 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों का गर्भवती होना 21 प्रतिशत से अधिक है। बाल विवाह से जन्मे बच्चों के कुपोषण के शिकार होने की संभावना अधिक रहती है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष सितम्बर में पोषण माह के दौरान महिला और बाल विकास मंत्रालय, राज्य सरकारों, आंगनबाड़ी कर्मियों द्वारा 2.7 लाख गतिविधियां चलाई गईं। 1.3 मिलियन जमीन स्तर के कर्मियों ने 85 मिलियन लाभार्थियों के लिए काम किया। उन्होंने बताया कि प्रारंभ में ओडिशा पोषण अभियान से नहीं जुड़ा था, लेकिन अब जुड़ गया है और पश्चिम बंगाल ने कार्यक्रम के अनेक तत्वों को अपनाया है। त्रिपुरा में दो वर्ष पहले पौष्टिकता कार्यक्रम लागू करने में काफी अंतराल था, लेकिन राज्य ने पौष्टिकता लक्ष्य की प्राप्ति में शानदार प्रगति की है।
नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत ने कहा कि कुपोषण एक बड़ी चुनौती है और 8-9 प्रतिशत वार्षिक विकास के लिए कुपोषण से सफलतापूर्वक निपटना होगा। उन्होंने कहा कि पोषण अभियान केवल एक सरकारी कार्यक्रम के तौर पर नहीं चलाया जा सकता। इसे पंचायती राज संस्थानों तथा स्वयं सहायता समूहों को शामिल कर जन आंदोलन बनाना होगा। उन्होंने कहा कि फील्ड स्तर पर तालमेल का अभाव है और इसे क्षमता सृजन, टेक्नोलॉजी का लाभ उठाकर तथा योजनाओं की रियल टाइम निगरानी से निपटा ठीक किया जा सकता है।
कार्यशाला को विश्व खाद्य कार्यक्रम, कंट्री डायरेक्टर विशोव पराजूली ने भी संबोधित किया। दो दिन की कार्यशाला का आयोजन महिला और बाल विकास मंत्रालय तथा ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा किया गया।