प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज दिवाला और दिवालियापन संहिता (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2019 के माध्यम से दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 (संहिता) में अनेक संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। संशोधन का लक्ष्य संहिता के उद्देश्यों की पूर्ति करना तथा कारोबार में और अधिक सुगमता सुनिश्चित करने के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया में आ रही विशेष कठिनाइयों को दूर करना है।
प्रस्ताव का विवरण
संशोधन विधेयक का उदेश्य धारा 5 (12), 5 (15), 7, 11, 14, 16 (1), 21 (2), 23 (1), 29 ए, 227, 239, 240 में संशोधन करने के साथ-साथ दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 (संहिता) में एक नई धारा 32ए को शामिल करना है।
प्रभाव
- संहिता में संशोधन से बाधाएं दूर होंगी, सीआईआरपी सुव्यवस्थित होगी और अंतिम विकल्प वाले वित्तपोषण के संरक्षण से वित्तीय संकट का सामना कर रहे सेक्टरों में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
- कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी ) शुरू करने में होने वाली गड़बड़ियों की रोकथाम के लिए व्यापक वित्तीय कर्जदाताओं के लिए अतिरिक्त आरंभिक सीमा शुरू की गई है जिनका प्रतिनिधित्व एक अधिकृत प्रतिनिधि करेगा।
- यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कॉरपोरेट कर्जदार के कारोबार का आधार कमजोर न पड़े और उसका व्यवसाय निरंतर जारी रहे। इसके लिए यह स्पष्ट किया जाएगा कि कर्ज स्थगन अवधि के दौरान लाइसेंस, परमिट, रियायतों, मंजूरी इत्यादि को न तो समाप्त अथवा निलंबित या नवीकरण नहीं किया जा सकता है।
- आईबीसी के तहत कॉरपोरेट कर्जदार को संरक्षण प्रदान किया जाएगा। इसके तहत पूर्ववर्ती प्रबंधन/प्रमोटरों द्वारा किए गए अपराधों के लिए सफल दिवाला समाधान आवेदक पर कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं की जाएगी।