प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आईआईएफसीएल को वित्त वर्ष 2019-20 में 5,300 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020-21 में 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त इक्विटी सहायता देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह काम नियमित बजटीय सहायता के जरिये और/अथवा पुनर्पूंजीकरण बांडों को जारी करके पूरा किया जाएगा। आर्थिक मामलों का विभाग इसके समय के साथ-साथ नियमों व शर्तों को तय करेगा। कैबिनेट ने आईआईएफसीएल की अधिकृत पूंजी को 6,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 25,000 करोड़ रुपये करने को भी स्वीकृति दे दी है।
प्रमुख प्रभाव :
इससे आईआईएफसीएल को उधारी के लिए अतिरिक्त गुंजाइश करने में मदद मिलेगी, जिससे यह अगले पांच वर्षों में अवसंरचना क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपये निवेश करने संबंधी भारत सरकार के लक्ष्य के अनुरूप बड़ी बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं के वित्त पोषण में समर्थ हो जाएगी।
पृष्ठभूमि
· वर्ष 2006 में स्थापित भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी आईआईएफसीएल ही वह प्रमुख निकाय है, जो विभिन्न सैक्टरों की लाभप्रद बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को दीर्घकालिक वित्त मुहैया कराती है। यह एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी – अवसंरचना वित्त कंपनी (एनबीएफसी-आईएफसी) है, जो सितम्बर 2013 से ही भारतीय रिजर्व बैंक में पंजीकृत है। मौजूदा समय में इस कंपनी की अधिकृत पूंजी और चुकता पूंजी क्रमश: 6,000 करोड़ और 4702.32 करोड़ रुपये है।
· सरकार ने अगले पांच वर्षों में बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की अपनी मंशा की घोषणा की है। बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर निवेश के लिए बड़ी मात्रा में इक्विटी और ऋणों की आवश्यकता होगी। ऋण संबंधी वित्त पोषण को संभव बनाने में आईआईएफसीएल की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि किसी परियोजना के वित्त पोषण में आईआईएफसीएल की भागीदारी से बड़े बैंकों सहित अन्य ऋणदाताओं द्वारा सह-वित्त पोषण करने की संभावनाओं के द्वार खुल जाते है।
अत: आईआईएफसीएल को अतिरिक्त पूंजी मुहैया कराना आवश्यक है, ताकि यह प्रमुख या बड़ी बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं का वित्त पोषण करने संबंधी अपनी निर्धारित भूमिका को पूरा करने में समर्थ हो सके।