युवाओं की समृद्धि से ही राष्ट्र को मजबूती

विवेक मित्तल

बात-बात में वर्ष बीत गया,
मुट्ठी में रेत-सा रीत गया।
भोर भई, चिड़िया चहचहाई,
वसुन्धरा पर रश्मियाँ आई।
नवपथ पर फैला उजियारा,
2020 होगा खुशहाली वाला।

यज्ञमयी प्रक्रिया का पालन करते हुए हम सभी देशवासियों को भारतवर्ष को समृद्ध, शक्तिशाली राष्ट्र बनाने और विश्वगुरु के पद पर पुनः प्रतिष्ठित करने का संकल्प वर्ष 2020 में लेना चाहिए। आईये नये विचार, नये संकल्प, नई रीति और नई रीति से नवपथ का सृजन करते हुए अखण्ड राष्ट्र के निर्माण का नवसंकल्प लें।

पिछले वर्ष में कार्य जैसे भी थे अच्छे-बुरे, कुछ पूरे-कुछ अधूरे, कामयाबी-नाकामी सब पर समभाव रखते हुए चिंतन-मनन करने की आवश्यकता हम सभी को है। देश के अन्दर वर्तमान समय में जो भय, अराजकता और हिंसा का वातावरण बना हुआ है उसको विश्वास, सद्भावना और सौहार्द में बदलने की जरूरत है। अखण्ड राष्ट्र निर्माण के लिए हमें हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठना। ‘जब जागो तभी सवेरा’ जागो, उठो और लक्ष्य प्राप्ति की ओर बढ़ो का मन में संकल्प लेकर कार्य किया जाए तो कार्य सिद्धि अवश्य होती है।

वर्तमान समय में देश के युवाओं को अधिक सर्तक और सावधान रहने की आवश्यकता है। कुछ देशद्रोही व मौका-परस्त ताकतें आपका गलत इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं, लेकिन ऐसा हरगिज नहीं होने देना है। आप पथ भ्रमित न हों, न ही किसी के हाथों की कठपुतली बने। आपको अपने प्रति, परिवार के प्रति और राष्ट्र के प्रति निष्ठा रखते हुए मानदण्ड निर्धारित करने होंगे, ताकि उनको प्राप्त करने में आप सफल रहें।

युवा न भटके अपने लक्ष्य से
शिक्षा के मन्दिरों को राजनीति का अखाड़ा बनाया जा रहा है। विद्यार्थियों का उपयोग अपने निजी लाभ के लिए करना राजनीतिक दलों के लिए एक परम्परा-सी बन गई है। इस प्रकार की परम्परा न युवाओं के लिए उचित है और न ही देश हित में है। विद्यार्थियों को हथियार के रूप में इस्तेमाल करके अराजकता, वैमनस्य, हिंसा, आगजनी जैसे कार्य करवाना घोर निंदनीय है। आज देश को शिक्षा और शिक्षार्थी के उन्नयन की, उनके लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ाने की, उनके व्यक्तित्व को ताराशने और उनके चरित्र निर्माण की बात करने वालों की आवश्यकता है, न कि अपना अस्तित्व बचाने के लिए इनको अग्रिम पंक्ति में खड़ा करके राजनीति करने वालों की। युवाओं से आग्रह है कि वे ऐसे मौकापरस्त लोगों, राजनीतिक दलों से सजग और सावधान रहें और साजिशों का शिकार होने से बचें।

युवाओं की समृद्धि से ही राष्ट्र को मजबूती
युवाओं को अपनी सोच और बौद्धिक स्तर को विस्तार देना होगा। शैक्षणिक गतिविधियों के अलावा अन्य गतिविधियों लिप्त होने से पहले उन्हें उसके सुपरिणाम और दुष्परिणामों का सूक्ष्मता से भेद करना और पहचाना होगा। देश का युवा उपयोग और उपभोग की वस्तु नहीं है कि कोई भी अपना हित साधने के लिए अपनी इच्छानुसार उपयोग कर सके। सरकार को भी चाहिए कि वे युवाओं के सर्वांगीण विकास की ठोस योजनाएं बनायें और तय समय सीमा में लागू करें ताकि देश का युवा राष्ट्र के लिए सकारात्मक और रचनात्मक कार्य में रत रहे और षड्यंत्रकारियों के चंगुल में न आये।

जितना योगदान देश की प्रगति में कल-कारखानों, कृषि, विज्ञान और तकनीक का है, उससे बड़ा और महत्वपूर्ण योगदान स्वस्थ और शक्तिशाली युवाओं का होता है। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ युवाओं से ही मिलती है राष्ट्र को मजबूती। देश के युवाओं को शिक्षित करने, रोजगार प्रदान करवाने के साथ-साथ संस्कारित करना भी जरूरी है। देश के नवनिर्माण में युवाओं का अमूल्य योगदान होता है। बीमार, अशिक्षित और संस्कारहीन पीढ़ी समृद्ध और खुशहाल राष्ट्र का निर्माण नहीं कर सकती। शासनकर्ताओं को युवाओं के सम्पूर्ण विकास के लिए श्रेष्ठतम योजनाएँ बनाकर बिना किसी हानि-लाभ का सोचे लागू करनी चाहिए तथा राजनीतिक दलों द्वारा अपनी कामनापूर्ति और स्वार्थपूर्ति के लिए विद्यार्थियों और शिक्षण संस्थाओं के उपयोग पर रोक लगनी चाहिए तभी आज का युवा परिवार, समाज, प्रदेश और देश को समृद्धि के पथ पर अग्रसर करने में अपना शत-प्रतिशत योगदान दे सकेगा। क्योंकि अदम्य साहस और आत्मविश्वास की प्रतिमूर्ति है देश के युवा।