उत्कर्ष उपाध्याय
दुनियाभर में चीन में निर्मित और उत्पत्ति होने के बाद दिसंबर 2019 से ही इस भयावह जानलेवा कोरोनावायरस ने कई परिवारों को उजाड़ कर रख दिया है । अब तक विश्व भर में 16,26,096 कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों की पुष्टि समेत कुल 97,331 प्राणहानि दर्ज की गई है और 366,469 संक्रमित मरीज पूर्णतः स्वस्थ भी हुए हैं ।
चीन को सर्वथा ज्ञात था कि यह वायरस बहुत हानि पहुंचा सकता है परंतु अपने स्वार्थ के चलते उसने इसको तब तक छुपाए रखा जबतक इस महामारी ने प्रत्येक देश को अपनी चपेट में ना ले लिया और परिणामस्वरूप आज खुद चीन में तो मौतों का आंकड़ा चिंताजनक है ही परंतु जिन देशों में चीन से यह दानवरुपी वायरस पहुंचा वहां चीन से भी अत्याधिक मौतों और संक्रमित मरीजों का आंकड़ा पहुंच गया और इटली-इंग्लैंड इसका साक्षात प्रमाण है ।
भारत भले ही सभी देशों की तरह शुरुआती समय में इस वायरस से अनभिज्ञ था परंतु जैसे-जैसे विकसित राष्ट्रों में चीन के वुहान वाला ये कोरोनावायरस अपना उत्पात मचाया दिखा और तबाही की और अग्रिम पंक्ति में सहयोग देता रहा उससे सीख लेते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 मार्च 2020 को पूरे देश को बंद करने के तहत पूरे भारतवर्ष में लॉकडाउन लागू कर दिया.
उस समय कोरोनावायरस संक्रमित भारतीयों की मात्र 50 मरीजों की ही पुष्टि हुई थी , और उस दौरान लॉकडाउन लागू करना महत्वपूर्ण व सराहनीय कदम भी रहा क्योंकि लॉकडाउन होने के बाद भी संक्रमण व संक्रमित लोगों की संख्या दिन-दुगनी-रात-चौगुनी वृद्धि देखने मिली और फिलहाल भारत में कुल 6,725 कोरोना संक्रमितों की पुष्टि समेत ; अबतक 229 भारतीयों की प्राणहानि दर्ज की गई है ।
अब यह देखने और विचारणीय मामला यह है कि लॉकडाउन होने के बावजूद अगर इस संक्रमण ने इतना प्रभाव दिखाया अपितु यह ना किया होता तो दृश्य इटली से मिलता जुलता हो सकता था और वास्तव में यह 21 दिवसीय लॉकडाउन जो 15 अप्रैल को समाप्त होने जा रहा है, इसको आगे बढ़ाना अभी संपूर्ण देश के हितकर है और बिना रोक लगाए इसे जारी रखना आवश्यक ही नहीं अति आवश्यक है ।