अज्ञात शत्रु शत्रु ये अज्ञात है

अज्ञात शत्रु
शत्रु ये अज्ञात है
लक्ष्य इसका नाश है
मन बहुत उदास है
डर से निराश है
तूँ तनिक धैर्य रख ।
ख़ुद को क़ैद रख ।।
हिला रहा मनुष्य को
रुला रहा ये विश्व को
ख़ौफ़ से डर सहम
अपने पे कर रहम
तूँ तनिक धैर्य रख ।
ख़ुद को क़ैद रख ।।
तूँ न यूँ तनिक फिसल
चल यूँही संभल संभल
तेरी एक भूल से
दिल जायेगा दहल
तूँ तनिक धैर्य रख ।
ख़ुद को क़ैद रख।।
बढा जो तेरा यदि कदम
घुटेगा बहुतों का दम
शान्त बैठ! मत मचल
बन्द तूँ कर दख़ल
तूँ तनिक धैर्य रख ।
ख़ुद को क़ैद रख ।।
बन्द जज्वात् रख
क़ाबू में हालात रख
कुछ दिनों की बात है
ख़ुद पे लगाम रख
तूँ तनिक धैर्य रख ।
ख़ुद को क़ैद रख ।।
संयम से काम कर
बन्द हर द्वार कर
ना मचल! हो विकल
रुक ज़रा! और संभल
तूँ तनिक धैर्य रख।
ख़ुद को क़ैद रख ।।
तुझे क्या खबर
चले! ये किस डगर
जीने की परवाह कर
लक्ष्य अब विकास कर
तूँ तनिक धैर्य रख ।
ख़ुद को कैद रख ।।

By Dy. SP

Fatepur U.P