‘कोरोना’ नामक इस वैश्विक आपदा से मानव-समुदाय की मुक्ति हेतु संसार के प्रत्येक इस्सयोगी अपनी प्रातः कालीन सूक्ष्म आंतरिक साधना में कमसेकम ५ मिनट तक शुभ संकल्प को प्रेषित करें। यह समय संयम और अनुशासन का पालन करते हुए, शुभ विचारों के प्रसार का समय है। हमें प्रकृति के साथ जुड़कर जीवन-यापन करना चाहिए। स्वार्थ में आकर हमने प्रकृति का जो दोहन किया,आज उसी का दुखद परिणाम झेल रहे हैं। हमें अपने किए का ही भोगना होता है।
यह बातें शुक्रवार को सूक्ष्म आध्यात्मिक साधना पद्धति ‘इस्सयोग’ के महान प्रवर्त्तक और ब्रह्मलीन सदगुरुदेव महात्मा सुशील कुमार के १८वे महानिर्वाण दिवस पर आयोजित दो दिवसीय महोत्सव के समापन के पश्चात अपने आशीर्वचन में संस्था की अध्यक्ष और ब्रह्मनिष्ठ सद्ग़ुरुमाता माँ विजया जी ने कही। माताजी ने इस प्राचीन लोकोक्ति कि, ‘कभी घना घना, कभी मुट्ठी भर चना, तो कभी वह भी मना’ को उद्धृत करते हुए कहा कि, जीवन में कभी-कभी ऐसी परिस्थिति भी आती है, जब हमें अपने को समेट कर रखने की आवश्यकता पड़ती है। विगत वर्ष तक, प्रत्येक वर्ष इस अवसर पर संसार भर के हज़ारों इस्सयोगी जुटते थे। इस वर्ष सबको अपने-अपने घरों में ‘साधना’ करने को कहा गया, जो आवश्यक था। उन्होंने कहा कि ‘इस्सयोग’ सिर्फ़ निज कल्याण की ही नही समस्त वसुधा के कल्याण की बात करता है। हमें समस्त प्राणी-जगत के कल्याण की भावना करनी चाहिए।
इसके पूर्व गत संध्या ६ बजे से आरंभ हुए, १८ घंटे की अखंड-साधना के अनुष्ठान के १२ बजे संपन्न होने के पश्चात, सदगुरुदेव के प्रति श्रद्धा-तर्पण के निमित्त हवन-यज्ञ किया गया। हवन-यज्ञ में माताजी के दिव्य सान्निध्य में संस्था के संयुक्त सचिव उमेश कुमार, डा अनिल सुलभ, किरण झा, मंजू देवी, प्रभात रुचि झा, बीरेन्द्र राय, राकेश कुमार समेत अन्य इस्सयोगी सम्मिलित हुए।
यह जानकारी देते हुए, संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ ने बताया कि अपने-अपने देशों में दुनिया भर के इस्सयोगियों ने स्थानीय समय के अनुसार २३ अप्रैल की संध्या ६ बजे से २४ अप्रैल के १२ बजे तक अखंड साधना में भाग लिया। अमेरिका के न्यूजर्सी में संस्था के उपाध्यक्ष पूज्य बड़े भैय्या श्रीश्री संजय कुमार, इंग्लैंड में डा जेठानंद सोलंकी तथा डा दार्शनिका पटेल, नई दिल्ली में संस्था के सचिव कुमार सहाय वर्मा, गुरूग्राम में संगीता झा ने संध्या ६ बजे से अखण्ड-साधना का आरम्भ की व कार्यकारिणी के सभीसदस्यों को अलग-अलग स्थानों पर साधना में बैठे। सभी देशों के अन्य इस्सयोगियों को उक्त अवधि में अपनी सुविधानुसार कमसेकम १ घंटे की साधना करने को कहा गया था। प्रत्येक संध्या पौने ।आठ से सवा आठ तक होने वाली जगत-कल्याण की साधना में भी ‘कोरोना’ से मुक्ति के लिए संकल्प संप्रेषण के लिए कहा गया है।