संजय गिरी गाजियाबाद वॉयस एडिटर के साथ बातचीत

आप ने अपने करियर की शुरुआत कैसे की?
अपनी ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के बाद में 2004 में पिंटू समूह से जुड़ा था जो कि गाजियाबाद में ही अपना न्यूज़पेपर और न्यूज़ चैनल चला रहे थे।

आपको इस प्रोफेशन में जाने की प्रेरणा कहां से मिली ?
मैं बचपन से ही थोड़ा सा सोशल रहा हूं। मैं चाहता था कि मैं जिस भी पेशे में जाऊं उस पर मुझे थोड़ा वक्त भी मिले और मैं लोगों के बीच भी रह सकूं लोगों के लिए भी कुछ कर सकूं जिसके साथ सामाजिक कार्य भी जुड़ा हो और घर के लिए नौकरी जिसे कहते हैं वह भी मैं कर सकूं ऐसा कार्य मुझे करना था.

आपके अखबार का मुख्य फोकस क्या होता है ?
हमारा जो पोर्टल का फोकस बिल्कुल अखबार की तरह होता है। पहले गाजियाबाद में ऐसा पोर्टल नहीं था। अब खबरें पढ़ना आसान है। हर मोबाइल पर पोर्टल आसानी से मिल सकता है। अब लोग दिल्ली एनसीआर की और देश विदेश की खबरें भी आसानी से पढ़ सकते हैं इसका कॉलम हर विभाग में है।

एडिटर के रूप में आपके सामने क्या चुनौतियां आती है और इसका समाधान कैसे करते हो ?
पत्रकारिता के क्षेत्र में चुनौतियां है। और जब सरकारे बदलती हैं तो उसमें हमारी मेहनत के साथ बहुत सारी चीजें जुड़ी होती है जो सरकारो से जो न्यूज़ और विज्ञापन मिलते है। उसमें भी कटौती होती है कई खबरों को लेकर भी काफी दिक्कतें आती है क्योंकि हिंदू मुस्लिम सभी लोग यहां रहते हैं तो कई बार दंगे भी हुए हैं तो खुद को सुरक्षित रखते हुए हमने यहां पर काम किया है।

आप वर्तमान परिस्थितियों के मध्य नजर लोगों को क्या संदेश देना चाहते हैं।
आप जो भी काम करें उसके लिए पहले ही लक्ष्य निर्धारित करें और अपने पेशे के साथ-साथ समाज के लिए भी कुछ कार्य करें और अगर हर व्यक्ति यह सोच लेगा कि हमें घर परिवार के साथ साथ समाज के लिए भी कुछ करना है तो यह देश बहुत आगे जाएगा ।

आपके अनुसार आज समाज में सबसे बड़ी चुनौती क्या है ?
समाज में तो पहले से ही महंगाई और बेरोजगारी है। हालांकि सरकार इस पर काम कर रही है लेकिन बहुत मुश्किल होगा और बहुत लंबा समय लोगों को इस कोविड-19 के प्रकोप से उबरने में लगेगा।