कौशल चंद:-
तनाव,अवसाद, क्रोध, खुंदक, घमंड, चिताएं , ये सभी कैंसर, टी. बी.,हार्ट अटैक, दिमाग की नस फटना , लकवा आदि को फौरन आमन्त्रित करते हैं ।
तो कैसे बचा जाय ? क्या उपाय बचाने में सहायक होंगे ?
आओ विमोचन करे
कहते हैं ,” चिंता चिता सामान होती है ”
इन समस्याओं का समाधान बिल्कुल सम्भव है यदि आप नीचे दिए गए कारणों और परहेजों पर ध्यान देंगे ।
आज कई लोग यहीं उपर बताई गई तकलीफों और समस्याओं से उलझे रहते है और अचानक मौत उन्हें निगल जाती है।
” अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ”
उस अचानक आई मौत की ” प्रलय को तब घर वाले पछताते हैं और पहले सोए रहे और ना ही कोई खास ध्यान दिया था । ये एक जबरदस्त लापरवाही ही है और ये कह कर शांत हो जाते हैं कि” उसकी इतनी जिंदगी लिखी थी ” ।ये बात बिल्कुल ही गलत है ऐसा सोच विचार – आखिर हमारा फर्ज है कि सही प्रयत्न और कोशिश करना तभी तो सफलता हाथ लगेगी ।
इन बीमारियों ने हमें बुरी तरह से जकड़ रखा है , हां ! यदि थोड़ा सा ध्यान देवे तो अचानक हस्पताल भागने की बजाय घर पर ही दुरूस्त हो सकते हैं ।
कई लोग अचानक दिमाग की नस फटने से गुस्ल खाने में ही गिर कर “कोमा ” में चले जाते हैं – यदि दिमाग की नस आधा इंच से कम फटी है तो बचने के चांसेज होते हैं ।ये तो अस्पताल वाले ही सी टी स्कैन, या ” एम आर आई ‘ या अन्य प्रकार के टेस्ट करके ही पता लगा सकेंगे।
या
फिर अचानक हार्ट फेल्योर हो जाता है और मनुष्य घर में ही गिर कर या बेड पर ही या सड़क पर गिर कर भगवान को प्यारा हो जाता है।
आओ ! गहराई से विवेचन करे – कौन कौन सी तकलीफे आ सकती हैं ? जिसके लिए हम , 65 से 75 % वजहों को पहले उपर शुरू में कहीं गई बातों को जिम्मेवार ठहरा सकते हैं और बाकी 20 से 28 % लगभग वजह ,जिसमें खानपान की लापरवाही ,टाइम बेटाइम खाना या सोना बद परहेज , अत्यधिक शराब , धूम्रपान , पान मसाले,गुटके, जंक फूड आदि जिम्मेवार है ।
1) कैंसर
लगभग 80से 82% मामलों में तनाव ,चिंता, क्रोध , गहरा सदमा आदि को आरोपी मान सकते हैं
बाकी 15से 20% मामलों में हमने उपर बताया था कि गलत खान पान , तम्बाकू, पान मसाले , गुटका ,सिगरेट ,बिना रेशे वाले पदार्थो का सेवन – जैसे जंक फूड, पीजा , मकरोनी ,आदि। ज्यादा सुपारी खाना भी नुक़सान देय है।
2) हार्ट अटैक/ स्ट्रोक व अन्य सम्बन्धित रोग
ये भी उपर चर्चित बुराइयों का ही उपहार है कि बहुत से नौजवान ,या प्रोड आदि भी अचानक सड़क पर या घर में या हस्पताल में गिर कर या बेड पर ही लेटे लेटे यमराज के दरबार में पेश हो जाते हैं। और कई लोग कहते हैं “उसकी इतनी ही उम्र लिखी थी”
हम क्यों नहीं समझते कि ये सब लापरवाही की वजह से है , जिसे हम ” नकारने की कोशिश ही नहीं की ”
दो संभावित उपाय हैं ( लेकिन वो तत्काल अपनाने पड़ते हैं और हर किसी को नहीं मालूम )
हम उस ग्रसित व्यक्ति को फौरन उसके मूह पर मूह लगा कर नकली सांस जोर जोर से प्रविष्ट कराए और छाती की मसाज करे
दूसरा यदि मरीज हस्पताल में है तो अटैक आने पर डाक्टर फौरन कुछ क्षणों में विशेष इंजेक्शन लगा दे तो जान बचने के मौके होते हैं , लेकिन खतरा बहुत रहता है।कभी कभी ” सौरबिटॉल” (एक विशेष दवाई ) की टिकिया जीभ के नीचे मरीजों को रखने से राहत मिल सकती है ।
3) टी. बी.
ये तीसरा रोग भी उपर कही गई वजहों यानी चिंता,घरेलू क्लेश, पति पत्नी में लंबे समय तक झगड़ा या मार पीट , या पिता बेटे में हर वक़्त द्वेष भाव और झगड़ा ,शराब व गलत आदतें, पॉल्यूशन, या गंदगी भरे इलाके में रहना , ताजी हवा का ना मिल पाना आदि
लगभग 75से 80% मामलों में उपर लिखे कारण बीमारी की मदद करते हैं – इसका इलाज संभव है – अंदाजन 70 से 80 % मरीज इलाज से लाभान्वित हो पाते हैं
20 % वो मामले संक्रमण के शिकार होते हैं ,जिसमें घर में किसी को या आस पड़ोस के रोगियों के संपर्क में आने पर ये बीमारी स्वस्थ्य लोगो में भी आ जाती है । बीमार व्यक्ति को मास्क व अन्य सुरक्षा उपायों का पालन करना चाहिए ताकि अन्य लोगो का बचाव हो । रोगी की बलगम को जलाने में ज्यादा फायदा है।रोगी को ताजी हवा और सही खुराक देनी चाहिए।
उस रोगी के घरेलू सदस्यों को हस्पताल वाले सुरक्षा के लिए आजकल कुछ विशेष दवाई देते हैं जिससे वे अपना बचाव कर सके ।
कई बार यदि आपकी इम्यू नी टी
मजबूत है तो रोगी के संपर्क मै आने पर भी बचे रहेंगे।
4) ब्रेन स्ट्रोक या दिमागी नस का फटना
ये बीमारी भी अचानक ही क्रोधी और बर्दाश्त की कमी वालों को हो जाती है – बन्दा बाथ रूम या सड़क पर ही ज्यादा बी पी होने पर नस फटने से शिकार हो जाता है । इसमें बचने कर चांसेज होते हैं यदि फौरन सही समय पर इलाज हो जाए। ये भी ज्यादातर उपर वर्णित कारणों की ही लगभग दे न है
5) आत्महत्या
ये समस्या भी गहरा रूप लेे रही है- जिसकी वजह तनाव,अवसाद,चिंता, अकेलापन,प्रेम में असफल, व्यापार में घाटा, बलात्कार का शिकार होना,क्रोधी प्रवृति का होना, आदि
बड़े बड़े मनोवैज्ञानिक चिकित्सक भी कई बार ऐसे ‘ मायूस’ को काबू कर पाने में कामयाब नहीं हो पाते ।परीक्षा में फेल हो जाना भी इस मुसीबत को गले लगाने के लिए उकसाता है ।इंसान निराशा के समुंदर में डूब कर ऐसी हरकत करने को विवश हो जाता है।कई बार तो सामूहिक आत्महत्या के मामले भी आए जिसमें पूरे के पूरे परिवार को मारकर आत्महत्या का नाटक बना कर अंत में खुद फांसी पर लटक जाता है
इस विषय पर गंभीर रिसर्च चल रही है, एक देश ने एक ऐसी विधि निकाली ,जिससे आत्महत्या के लिए उत्तेजित व्यक्ति के खून टेस्ट से पता चल जाता है कि अमुक व्यक्ति आत्महत्या के लिए ” लाचार” है
6) पागलपन
कुछ लोग काफी टाइम तक उन उपर चर्चित मुसीबतों से संघर्ष करते करते और कड़वे स्वभाव के चलते दिमागी हालत को खराब कर लेते हैं- ऐसे पागलपन का कोई सफल इलाज़ इतना जल्दी सम्भव नहीं ,लेकिन लगातार इलाज के दौरान बहुत कम लोग ही पूरी तरह से ठीक पाने की आशा बनती है । अभी एक जवान युवक ने काफी तनाव ग्रस्त रहने के बाद काफी समय नौकरी से नौकरी से एबसेंट रहा और 5/6 साल बाद सिर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली ।
7)इनके अलावा कई और भी वजह होती हैं जिन सब का वर्णन करना यहां सम्भव नहीं होगा , क्यों कि लिखते लिखते पेज भर जाएंगे,और इतना फायदा भी नहीं
अब हमे असली और मुख्य उपायों कि और रुख करना होगा!
हम कैसे इन सब समस्याओं का हल निकालें ?? प्रश्न है क्या ये संभव है ?
हमारी समझ में तो ये बिल्कुल सम्भव है लेकिन इसमें कोई खर्चा नहीं,जबकि हस्पताल में तो लाखो/करोड़ों लुटाने पड़ते हैं ।
आओ ! उपायों का विमोचन किया जाय :
1 )पहले तो हमें ‘ अपने जीवन शैली ‘ को परिवर्तित और सुधारना होगा , को कि एक महत्वपूर्ण और वांछित कदम माना जाएगा। हमें ‘ सही राह ‘ पर चलने की सख्त जरूरत है। हमें बर्दाश्त शक्ति को बढ़ाने की भरपूर कोशिश करनी होगी और विश्वसनीय तरीके से अपनी प्रतिरोध शक्ति को हासिल करना होगा – यदि हम अपनी रोग प्रतिरोध शक्ति को काबू कर लेते हैं तो हमारी जीत कामयाब है – इस पर गंभीर रूप से विचार करें
2) योगा और प्राणायाम
जीवन में सबसे सस्ता और विश्वसनीय उपाय है जो उपर
वर्णित परेशानियों को उखाड़ने में पूरी मदद करता है- और शुरू में दिए गए ‘ दानवों से पीछा छुड़ा सकते हैं हमें अपने बच्चों को, दोस्तों को इन बेशकीमती, सुनहरी और महत्वपूर्ण किर्याओ की ओर प्रेरित करें । बच्चों को अच्छे संस्कार प्रदान करें – और उन्हें अच्छे विद्यालयों में प्रवेश दिला कर अच्छी शिक्षा प्रदान कराने का प्रयास करें।
प्राणायाम और योग के नियमित अभ्यासों को भारत के प्रयत्नों से सम्पूर्ण विश्व ने मान्यता देकर स्वीकार किया और प्रत्येक वर्ष 21 जून को “अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।
प्राणायाम क्या है ?
जैसा कि आप सब जानते होंगे प्राणायाम से हम अपनी श्वास प्रणाली पर नियंत्रण कर अपने शरीर में सुप्त या असुप्त अंगो को जगाते हैं – जिससे खून का संचार और प्रवाह समुचित रूप से शरीर के अंगो ,नसों आदि में दौड़ दौड़ कर उनमें उत्तेजना पैदा कर जाग्रति और उनमें उत्साह बढ़ाने में भरपूर सहयोग करते हैं इस प्रकार किसी भाग में यदि दर्द होता है तो उसे गायब या कम करने में मदद करते हैं।यही प्राणायाम ही हमारी मानसिकता को प्रबल और सही राह पर लाने में भरपूर सहयोग करते हैं और बच्चों और अन्य पेशेवर लोगों आदि को यादगार और ज्ञान शक्ति को बढ़ाने में कामयाबी लाता है।प्रमुख प्राणायाम : भरसिका,कपाल भाटी,अनुलोम विलोम, नाड़ी शोधन आदि ।
योगासन
इसी प्रकार योगासन का भी जबरदस्त महत्व होता है इसमें हम विभिन्न आसनों की सहायता से शरीर के विभिन्न भागों को ताकत और मजबूती मिलती है।हम शरीर के भागों को तरकीब से हिला जुला कर उनमें भी स्फूर्ति प्रदान करने में सफलता प्रदान कर पाते हैं। हड्डियां मजबूत होती हैं जिससे हम कभी भी ना चाहने वाले दुर्घटना में सही सलामत रह पाते हैं । हड्डियों में कुछ लचीलापन आने से यदि आप बाथ रूम फिसल भी जाते हैं तो कूल्हे की हड्डी या अन्य हड्डियां सुरक्षित रहती हैं ।कई प्रकार के आसन होते हैं : मसलन चक्रासन, मयूरासन, वज्र , मुंडका, हलासन, सर्वांगीण,शीर्षासन आदि ।वज्रासन और पवन मुक्तासन से पेट को आराम मिलता है
3 ) मेडी टेशन :सही तरीके से करने से योगासन और प्राणायाम जैसे लाभ मिलने वाले लाभों से आपको फायदा मिलेगा ।
4) सैर, खेल
सुबह व शाम की सैर बहुत मदद करती है । सुगर के मरीजों के लिए दवाई के अलावा सैर का बहुत फायदा होता है । खेलों का भी शरीर को सुरक्षित रखने में बहुत योगदान मिलता है ,मगर खिलाड़ियों को थोड़ा प्रणायाम जरूरी करना चाहिए ताकि शरीर के विकार दूर रहे
इन सभी प्रणालियों से हमारा शरीर सुखद,सुदृढ ,बनकर आत्मविश्वास को जलद ग्रहण करता है ।इनके साथ ही परहेजों में शराब , सिगरेट,बीड़ी , पान मसाला आदि से बचना चाहिए ताकि शरीर के इन दुश्मनों से हमें कभी धोखा ना हो जाय।
अन्य लाभों में हमारी प्रजनन शक्ति बढ़ती है ।हार्मोनल सिस्टम संतुलित हो जाता है, अनुशासन हमारा मित्र बन जाता है, हमें हिंसा से स्वाभाविक रूप से नफरत हो जाती है और बलात्कार की दुर्भावना हमारे से कोसो मील दूर रहती है आदि आदि।
आओ मिलकर प्रण करे कि योग और प्राणायाम को नियमित रूप से गले लगा कर अपने जीवन को सार्थक और दुरूस्त बनाए ताकि तनाव, अवसाद,क्रोध जैसे हमारे जालिम दुश्मनों का नाश हो सके !
लेख खुशहाल चंद