बिहार नए साल में नए संकल्पों के साथ दौड़ने के लिए तैयार खड़ा है, लेकिन जाते-जाते अरुणाचल प्रदेश के घटनाक्रम के जरिये राजनीतिक दोस्ती की परिभाषा को भी स्पष्ट कर गया है… क्रिसमस के दिन अरुणाचल प्रदेश में जनता दल यूनाइटेड के सात में से छह विधायकों को तोड़कर भाजपा ने बिहार में विपक्ष को बोलने और सहयोगियों को सोचने का काम दे दिया… अवसर की ताक में बैठा विपक्ष इसे नीतीश को क्रिसमस गिफ्ट बताकर खिल्ली उड़ाने में जुट गया है… बिहार में इस बार सत्ता के समीकरण में भाजपा का पलड़ा भारी है… मुख्यमंत्री भले ही नीतीश कुमार हों, लेकिन मंत्रियों की संख्या भाजपा की ही ज्यादा रहने वाली है… संख्या को लेकर अभी तक पेंच फंसा है और इसीलिए मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो सका है… इसी बीच क्रिसमस के दिन यह खबर आई कि अरुणाचल प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभा रहे जेडीयू के सात में से छह विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया है… अरुणाचल प्रदेश में दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था और साठ के सदन में 41 भाजपा के पास तथा सात जेडीयू के खाते में थे… वहां पंचायत चुनाव होने हैं, इसलिए राजनीतिक नफा-नुकसान के तहत यह घटनाक्रम हो गया… वैसे तो इसे सामान्य माना जाता, लेकिन यह ऐसे समय में हुआ जब बिहार में 26 तथा 27 को जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यसमिति और राष्ट्रीय कार्यपरिषद की बैठक होने वाली है… जेडीयू इसे लेकर खफा है और इसे गलत ठहरा रहा है, जबकि भाजपा अभी तक चुप्पी साधे है… भाजपा के दोनों उप मुख्यमंत्री तारकिशोर सिन्हा और रेणु देवी बुधवार तथा गुरुवार को दिल्ली में डेरा डाले थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित कई वरिष्ठों से उन्होंने मुलाकात की… भले ही यह सामान्य शिष्टाचार हो, लेकिन अरुणाचल प्रदेश के घटनाक्रम के बाद सियासी गलियारे में इस मुलाकात को लेकर बिहार की भावी राजनीति पर भी अटकलें लगने लगी हैं…