संत शिरोमणि गुरु श्री रविदास जी की जयंती

सामाजिक समरसता मंच वैशाली महानगर द्वारा 28 फरवरी रविवार को संत शिरोमणि गुरु श्री रविदास जी की जयंती के उपलक्ष में 5 अलग-अलग स्थानों पर विचार गोष्ठी एवं झंडापुर साहिबाबाद में एक शोभा यात्रा के साथ महोत्सव के रूप में मनाया! कार्यक्रमों में मुख्य वक्ताओं ने संत रविदास जी के जीवन पर प्रकाश डाला एवं उनके जीवन से समरसता की प्रेरणा लेकर प्रेम पूर्ण तरीके एवं भाईचारे से रहने का आग्रह किया! वैशाली महानगर के सामाजिक समरसता संयोजक डॉ प्रियांक ने कहां कि सामाजिक समरसता मंच समग्र समाज को समरस करने के लिए प्रतिज्ञाबद्ध है! उन्होंने कहा कि समरसता बौद्धिक का विषय नहीं व्यवहार का विषय है !हमें महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर समाज में फैली हुई इस कुरीति को समाप्त करने की दिशा में संपूर्ण समाज के साथ चलकर अपने राष्ट्र को विश्व गुरु बनाने की ओर प्रयास करना होगा! कोई भी संत या महापुरुष किसी एक क्षेत्र या एक समाज के नहीं हो सकते संपूर्ण समाज को एक साथ मिलकर उनकी जयंती को महोत्सव के रूप में मनाना होगा एवं उनके चित्र को सिर्फ घर की दीवारों पर ही नहीं अपितु अपने चरित्र में बसाना होगा एवं अपने व्यवहार को इस प्रकार से स्थापित करना होगा जिससे उनका चित्र हमारे चरित्र हमारे व्यवहार एवं हमारे आचरण में नजर आए ! श्रीमद भगवत गीता के 4 अध्याय के 13 श्लोक “चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः” का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा की भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मैं वर्ण की व्यवस्था गुण और कर्म के आधार पर कर रहा हूं! अर्थात जन्म के आधार पर किसी भी वर्ण की कोई व्यवस्था नहीं है! जातियों का उल्लेख किसी भी धर्म ग्रंथ में नहीं मिलता यह समय के साथ समाज में फैली हुई एक विकृति है, जिसको जड़ मूल से समाप्त करना होगा! उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र और समाज का विकास तभी संभव है जब उस राष्ट्र और समाज में रहने वाले हर एक व्यक्ति का विकास हो और विकास की पहली शर्त समरसता है! जब तक राष्ट्र समरस नहीं होगा तब तक विकसित नहीं हो सकता, इसीलिए जाति व्यवस्था से ऊपर उठकर ,भेदभाव को छोड़कर सभी को राष्ट्र का चिंतन करते हुए परम वैभव की ओर पुनः जाने के लिए कदम से कदम मिलाकर चलना होगा ,इस प्रकार की प्रथा एवं कुरीति हमेशा ही राष्ट्र के विकास में अवरोध का काम करती है! उन्होंने बताया की 2500 वर्षों में हिंदुस्तान को 24 बार तोड़ा गया जिनमें से अफगानिस्तान भूटान बांग्लादेश कंबोडिया ईरान इंडोनेशिया फिलीपींस मलेशिया मयमार नेपाल श्रीलंका थाईलैंड तिब्बत वियतनाम पाकिस्तान आदि मुख्य देश है ,जो कभी अखंड भारत का अभिन्न अंग हुआ करते थे परंतु इतिहास गवाह है कि भारत को कभी भी कोई अपनी सामर्थ्य और ताकत के बल पर नहीं जीत पाया सिर्फ हमारा आपसी भेद, आपसी झगड़े एवं आपसी फूट के आधार पर ही हमें बार-बार तोड़ा गया! भगवान राम के जीवन के समरसता के कई प्रसंगों का उल्लेख करते हुए डॉ प्रियांक ने कहा कि हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए भाईचारे का माहौल सर्वत्र स्थापित करना चाहिए !कार्यक्रम में कई साधु संत एवं महिलाओं की उपस्थिति रही! सभी कार्यक्रमों का मंच संचालन भाग इकाई के संयोजकों ने किया!