नवनियुक्त कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और उत्तराखंड का राजनीतिक सफर

नवनियुक्त कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, यूं तो जाना-पहचाना नाम हैं उत्तराखंड की राजनीति में, परंतु अचानक से कई बड़े दिग्गजों को पछाड़ने के बाद जिस तरह से उन्हे अध्यक्ष पद की कुर्सी पर अधिकार मिला है वह काफ़ी है उनका इतिहास-भूगोल टटोलने के लिए। इन्होंने उत्तराखंड की राजनीति में उस वक्त आगमन किया था, जब दो दिग्गजों का राठ क्षेत्र की राजनीति में बोलबाला था। जिसमे आठ बार विधायक डॉ. शिवानंद नौटियाल जो कांग्रेस पार्टी से है और भाजपा के डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ शामिल है। डॉ. शिवानंद नौटियाल वर्ष 1991 की रामलहर के बाद, निशंक से चार बार पराजित भी हो चुके थे। पार्टी की नजर गणेश गोदियाल पर तब पड़ी जब शिवानंद नौटियाल का राजनीतिक कद लगातार चुनावी हारों से फीका पड़ गया था, उस वक्त जोर-शोर से गणेश गोदियाल राठ महाविद्यालय की स्थापना में लगे हुए थे। पार्टी ने गणेश गोदियाल पर दांव खेला और तत्कालीन दिग्गज शिवानंद नौटियाल का टिकट सतपाल महाराज की सिफारिश पर काटा। गणेश गोदियाल की हार राजनीतिक पंडित निशंक के सामने पार्टी तय मान रही थी। लेकिन सबको चौंकाते हुए युवा गणेश गोदियाल ने जबरदस्त जीत हासिल की।