एक एसा दिन जो खास लोगों को हैं समर्पित

-अनुपमा जलानी

वैसे दुनिया में सारे दिन खास नहीं होते कुछ दिन खास होते हैं परंतु भारत में ज्यादातर दिन खास होते हैं क्योंकि ज्यादातर दिन हम कुछ ना कुछ पर्व, त्यौहार या उत्सव बनाते रहते हैं। जैसे की कुछ प्रमुख त्यौहारों के नाम कुछ इस प्रकार हैं होली,दिवाली,दशहरा आदि जोकि इनमें से कुछ त्यौहार या पर्व लंबे समय तक चलते हैं। इन्हीं में से एक त्यौहार या पर्व है जिसे “रोज़ डे” कहते हैं। वैसा यह कोई त्यौहार या पर्व नहीं एक दिन है जिसे कैंसर से पीड़ित मरीजों को समर्पित किया गया है और हम इस दिन को इस प्रकार भी कह सकते हैं कि यह दिन कैंसर से पीड़ित मरीजों को एक उम्मीद देने के लिए मनाया जाता है कि कैंसर भी अन्य बीमारियों की तरह ठीक होने वाली बीमारियों में से एक है। यह दिन 22 सितंबर को मनाया जाता है।यह दिन कनाडा में रहने वाली की एक 12 वर्षीय लड़की जिसका नाम मेलिंडा रोज़ हैं उसकी याद में मनाया जाता है और उसे जब एक दुर्लभ प्रकार के रक्त कैंसर का पता चला तो उसने उम्मीद नहीं छोड़ी। वैसे रोज़ जिसे हम हिंदी में गुलाब कहते हैं जो कि प्यार की निशानी होती है मुझे ऐसा लगता है कि रोज़ या गुलाबी देने का तात्पर्य यह होगा कि कैंसर से पीड़ित मरीजों को दुनिया से प्यार करना सिखाया जाता होगा क्योंकि प्यार या प्रेम करने का अर्थ यह नहीं होता कि आप किसी और से प्रेम करें क्योंकि प्रेम आप अपने आप से या फिर आपने जीवन से भी कर सकते हैं।