आज से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है… नवरात्रि का पर्व साफ-सफाई और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है… नवरात्रि के व्रत में नियम और संयम का विशेष महत्व होता है… और इस दौरान व्रत में नियमों का पालन जरूरी भी होता है… ऐसे में आज से शुरु हो रही नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री का विधिवत पूजन किया जाता है… पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण मां दुर्गा जी का नाम शैलपुत्री पड़ा… मां शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं और उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल होता है… मां शैलपुत्री के पूजन से जीवन में स्थिरता और दृढ़ता आती है… खासतौर पर महिलाओं को मां शैलपुत्री के पूजन से विशेष लाभ होता है… महिलाओं की पारिवारिक स्थिति, दांपत्य जीवन, कष्ट क्लेश और बीमारियां मां शैलपुत्री की कृपा से दूर होते हैं… मां शैलपुत्री के विग्रह या चित्र को लकड़ी के पटरे पर लाल या सफेद वस्त्र बिछाकर स्थापित करें… मां शैलपुत्री को सफेद वस्तु अति प्रिय है, इसलिए मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र या सफेद फूल अर्पण करें और सफेद बर्फी का भोग लगाएं… एक साबुत पान के पत्ते पर 27 फूलदार लौंग रखें. मां शैलपुत्री के सामने घी का दीपक जलाएं और एक सफेद आसन पर उत्तर दिशा में मुंह करके बैठें… ॐ शैलपुत्रये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें… जाप के बाद सारी लौंग को कलावे से बांधकर माला का स्वरूप दें… अपने मन की इच्छा बोलते हुए यह लौंग की माला मां शैलपुत्री को दोनों हाथों से अर्पण करें… ऐसा करने से आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी पारिवारिक कलह हमेशा के लिए खत्म होंगे…