नवरात्रि में कन्या पूजन कैसे करोगे जब लड़कियां ही नहीं होंगी विषय पर ऑनलाइन परिचर्चाः

60 बच्चे शामिल हुए परिचर्चा में

अल्मोड़ा। लड़कियों को स्वयं में मजबूत होना होगा। अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा। ये बात विज्ञान प्रसार भारत सरकार की वैज्ञानिक डॉ. इरफाना बेगम ने बालप्रहरी तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा आयोजित 242 वें ऑनलाइन कार्यक्रम को संबांधित करते हुए कही। ‘नवरात्रि में कन्या पूजन कैसे करोगे जब लड़कियां ही नहीं होंगी’ विषय पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम की मुख्य अतिथि बतौर अपने विचार रखते हुए डॉ इरफाना ने कहा कि आज जरूरत है हमें बच्चों को बचपन से ही बहनों तथा महिलाओं का सम्मान करने के संस्कार जाग्रत करने होंगे। उन्होंने कहा कि हमारे यहां वंश वृद्धि के लिए पुत्र का होना जरूरी माना गया है। कितने लोग अपनी पीढ़ियों के लोगों का जानते हैं। दूसरी ओर लक्ष्मीबाई और मीराबाई आदि महिलाओं के नाम पर कई वंशों की अपनी अलग पहचान है। उन्होंने कहा कि लड़कियों तथा महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है। दूसरी ओर उन्हें गर्भ में ही मार दिया जाता है। महिलाओं को दोयम दर्जे का समझा जाता है। इन विसंगतियों को समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लड़कियां घर तथा घर के बाहर सुरक्षित नहीं हैं। इसके लिए लड़कियों को मजबूत बनना होगा।
उप निदेशक शिक्षा विभाग उत्तराखंड आकाश सारस्वत ने कहा कि पुरूष सत्तात्मक व्यवस्था में पुरूष को श्रेष्ठ समझा जाता है जबकि सामाजिक व्यवस्था में महिला तथा पुरूष एक ही गाड़ी के दो पहिए के तौर पर समान हैं। किसी एक को श्रेष्ठ नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम लोग बड़े-बड़े मंचों से महिला समानता की बात करते हैं। व्यवहार में बालिका समानता के लिए मैं क्या कर रहा हूं इस पर हम सभी को चिंतन मनन करने की जरूरत है।
राजकीय महाविद्यालय कोटाबाग की हिंदी विभाग की एशोसिएट प्रोफेसर डॉ. भावना जोशी पाठक ने लिंगानुपात के ऑकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि लड़कियों की संख्या निरंतर घटते जा रही है। उन्होंने कहा कि आज भी हमारे यहां लड़के के जन्म पर जश्न मनाया जाता है जबकि लड़कियों को नामकरण संस्कार बहुत ही सूक्ष्म तौर पर किया जाता है।
अहमदाबाद से वरिष्ठ बालसाहित्यकार तथा सेवानिवृत्त आयकर आयुक्त श्यामपलट पांडेय ने कहा कि आज महिलाएं राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही हैं। हर क्षेत्र में महिलाएं अग्रणीय भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि लड़कियों की पूजा करना अच्छी परंपरा है परंतु केवल नवरात्रि में कन्या पूजन के बजाय हमें साल भर उनकी सुरक्षा तथा उन्हें आगे बढ़ाने के प्रयास करने होंगे। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान खंडवा,म.प्र. के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ. अशोक कुमार नेगी ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे के साथ ही हमें व्यवहार में भी बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाने की जरूरत है।
दो सत्रों में आयोजित परिचर्चा में ऊर्जा जोशी,सुदिति पंत, माही वर्मा,अदिति श्रीवास्तव,करन जोशी,कविता,अभिषी गुप्ता, योगिता लमकोटी,नव्या,पाखी जैन,आयुषी श्रीवास्तव,पल्लवी, योगिता, विद्या, सानिया, शशांक, खुशी, अंजलि, प्रेरणा, कनिका, हिमांशी, गायत्री, आरती,प्रशांत, गंगा, भूमिका, रुपेश, मीमांसा, रचना, निधि, दीक्षा, चित्रांशी, सुहानी, विनीता, सोनू, चिन्मयी, ओजस्वी, सोनी, काव्यांजलि, संजना, कोमल, व प्रियंका उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, असम, गुजरात, जम्मू व हरियाणा के 60 बच्चों ने अपने विचार व्यक्त किए। संचालन अभिषी गुप्ता तथा पल्लवी ने किया। इस अवसर पर ताकुला के खंड शिक्षा अधिकारी विनय कुमार, धारी के खंड शिक्षा अधिकारी चक्षुष्पति अवस्थी, वरिष्ठ कहानीकार सुधा भार्गव, गंगा आर्या, नीलम शर्मा,डॉ. विवेकानंद पाठक, देवसिंह राना, किरन उपाध्याय, उमा तिवारी, योगेश्वर सिंह, सुनीता शर्मा, प्रकाश पांडे, कृष्ण सैनी, गंगासिंह रावत, हेमंत चौकियाल सहित कई साहित्यकार,शिक्षक,अभिभावक तथा बच्चे ऑनलाइन उपस्थित थे। अंत में बालप्रहरी के संपादक तथा बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा के सचिव उदय किरौला ने सभी का आभार व्यक्त किया। प्रतिभागी सभी बच्चों को औनलाईन प्रशस्ति पत्र दिया गया।