किसी भी राष्ट्र के संचालन के लिए धर्म के नियमों का होना अति आवश्यक है.जिस भूखंड से धर्म की विचारधारा समाप्त हुई है वह भूखंड भारत से अलग हुए हैं. वर्तमान परिस्थिति में भारत का संविधान के अंतर्गत हम 1950 के बाद से कानूनन तरीके से भारतीय संविधान के अनुसार रहते हैं.लेकिन भारतीय संस्कृति प्राचीन इतिहास भारत की परंपरा, वैदिक सिद्धांत और सनातन धर्म के अनुसार पूरे भारतवर्ष का संचालन सुनिश्चित किया जा सकता है.आज जो घटनाएं घट रही हैं जहां पर धर्म कमजोर हैं वहां पर ऐसी घटनाएं हो रही है.स्पष्ट है कि हमें धार्मिक मजबूती की तरफ ध्यान देना चाहिए जिससे राष्ट्र मजबूत होगा.. वैदिक भारतवर्ष की पहचान सनातन धर्म से है वैदिक सिद्धांत से है और उसी के अंतर्गत हम अपने राष्ट्र का मजबूती से निर्माण कर सकते हैं. हम किसी भी मनुष्य के जीवन कल्याण के लिए वेदों के माध्यम से सनातन धर्म के माध्यम से भारतीय संविधान के अंतर्गत अपनी बात को रख सकते हैं जिससे राष्ट्र और भारत का नागरिक सुरक्षित रह सकता है. आज धर्म के जो ठेकेदार जो बनावटी धर्म मनगढ़ंत बातें बोलकर धर्म का व्यापारी करण किए हुए हैं सबसे बड़ी समस्या का जड़ यहीं से है धर्म के वास्तविकता से परिचय होने के लिए हर एक व्यक्ति को अपने सनातन धर्म और वैदिक सिद्धांत को समझना होगा. जब तक धर्म से व्यापार जुड़ा हुआ है तब तक पाखंडता बढ़ती रहेगी. लेखक : आशुतोष उपाध्याय
राष्ट्रीय अध्यक्ष
(आदर्श ब्राह्मण फाउंडेशन)