न्याय का अन्याय

राजस्थान के उदयपुर में 28 जून को कन्हैया लाल नामक एक दर्जी की गला काट कर हत्या कर दी गई। हत्या करने वाले दोनो युवक एक विशेष समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। कन्हैया लाल का जुर्म बस इतना था की उसने पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी करने वाली भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा को बात का समर्थन किया था। इसके बाद से कन्हैया लाल साहू को जान से मारने की धमकियां भी मिली थी। पीड़ित ने पुलिस से सुरक्षा की गुहार भी लगाई, लेकिन पुलिस बेखबर बनी रही और नतीजा सबके सामने था।इधर जुलाई माह में पहली तारीख को सर्वोच्च न्यायालय के जज जे बी पारदीवाला ने इस घटना के लिए बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा को ही जिम्मेदार ठहराते हुए नुपुर शर्मा को पूरे देश से माफी मांगने की नसीहत भी दे डाली। मुझे लगता है कि अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर जो हवाई हमला हुआ था,वो हमला अगर भारत में हुआ होता तो पारदीवाला उस हमले के लिए राइट ब्रदर्स को ही जिम्मेदार मानते और हो सकता था की उन पर जुर्माना भी लगा देते,क्योंकि हवाई जहाज का आविष्कार तो राइट ब्रदर्स ने ही किया था। वैसे पारदीवाला का विवादों से पुराना नाता है। इससे पहले भी आरक्षण पर अनावश्यक टिप्पणी करने के लिए इनका नाम सुर्खियों में आया था उस समय पारदीवाला गुजरात हाई कोर्ट के जज थे,और इस टिप्पणी की वजह से इन पर महाभियोग भी चलने की बात की गई थी, लेकिन पारदीवाला ने अपनी टिप्पणी को वापस ले लिया था।अब तो पारदीवाला और उनकी जैसी मानसिकता के लोग जब न्यायपालिका के शीर्ष पर हैं, इस प्रकार के बयानों और फैसलों से न्याय और व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाएंगे ही। इन जैसे लोगों की वजह से जिहादी और लोगों के गले काटने वालों को और बल मिलेगा। नुपुर शर्मा को इस गलती के लिए जिम्मेदार ठहराने वालों से ये जरूर पूछा जाना चाहिए की आखिर उसने ऐसा बयान क्यों दिया। नुपुर शर्मा को उकसाने वाले और शिवलिंग पर टिप्पणी करने वाले मौलाना की खोज खबर किसी ने नहीं लिया और न ही जरूरी समझा। आखिर क्यों?? लेखक : दीपक पाण्डेय (मुंबई)