ऊपर दिखाए गए फोटो में यह दोनों एक दूसरे के नजर में काफिर है. इस्लाम में सिर्फ अल्लाह को मानना है और उसके अलावा और कोई पूजा नहीं है एकेश्वरवाद सिद्धांत है.मुसलमान इंसान की पूजा नहीं कर सकता और सनातन धर्म में परमात्मा परम ब्रह्म जो प्रत्येक मनुष्य का अधिकार है इससे बढ़कर कोई शक्ति नहीं है.यह दोनों नाटक कर रहे हैं. इसमें कोई हिंदू मुसलमान एकता की बात नहीं है दोनों के दोनों पाखंडी है. नकली पंडित बनकर बैठा है और यह नकली मुसलमान बन कर बैठी है. सनातन धर्म और वैदिक सिद्धांत में परमात्मा से बड़ी कोई शक्ति नहीं हो सकती है मनुष्य का पूजा कभी नहीं हो सकता दोनों के जन्नत के रास्ते बंद हो चुके हैं और दोनों के नर्क के रास्ते खुल चुके हैं.. नए प्रकार की विचारधारा मनुष्य द्वारा बनाए हुए नई पाखंड जो कहीं ना कहीं यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि हम धर्म से कितना दूर है. यह चित्र देखकर भविष्य पुराण की एक लाइन याद आ गई कि धर्म का चोला पहनकर पाखंड करने वाले बहुत मिलेंगे यह बनावटी विचारधारा धर्म को समाप्त कर देती है.हमें समझना चाहिए कि जो वैदिक सिद्धांत सत्य सनातन धर्म है उसी पर आधारित हम बात को रखें.यह नकली चोला पहनकर क्रीम पाउडर लगाकर बड़े बाल रखकर सेंट लगाकर ढोलक झाल लेकर पैसा कमाने का माध्यम बना चुके हैं. धर्म की वास्तविकता को जानने के लिए प्रत्येक मनुष्य स्वयं जिम्मेदार है प्रत्येक मनुष्य पुरोहित है.और अपने ज्ञान के अनुसार वह खुद अपने धर्म को समझ सकता है. किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं है अगर माध्यम है अभी तो वह सनातन धर्म और वैदिक सिद्धांत है.12 वीं शताब्दी से ब्राह्मणों की जिम्मेदारी थी की वर्ण व्यवस्था को सही से लागू करना और प्रत्येक मनुष्य को ब्राह्मणों की विचारधारा में लेकर आना जिसमें ब्राह्मण सफल नहीं हुए और अपने घमंड में अपने ज्ञान के घमंड में धर्म का प्रचार नहीं कर पाए और धर्म ब्राह्मणो तक सीमित रखें अगर प्रत्येक मनुष्य में सनातन धर्म और वैदिक सिद्धांत की बात गई होती तो आज जाति व्यवस्था नहीं रही होती और नहीं आरक्षण की कोई बात होती धर्म के पाखंड का ब्राह्मण और यजमान के मिलीभगत से हुआ हम ब्राह्मण हैं. ब्राह्मण वादी नहीं हैं. प्रत्येक मनुष्य ब्राह्मण कर्म व्यवस्था पुरोहित कर्म व्यवस्था पर अपनी बात को रखें..
(लेखक : आशुतोष उपाध्याय, मुंबई)
ब्राह्मण और यजमान के मिलीभगत से धर्म का पाखंड उत्पन्न हुआ है
