महाराष्ट्र का 56 वां तीन दिवसीय निरंकारी संत समागम इस वर्ष 27, 28 और 29 जनवरी को सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज और उनके जीवनसाथी निरंकारी राजपिता रमित जी के पावन सान्निध्य में किया गया। ये समागम औरंगाबाद के बिड़किन, डीएमआयसी के 300 एकड़ ग्राउंड में किया गया। इस समागम में महाराष्ट्र के कोने कोने से भक्तगण पधारे हुए थे। वहीँ भारत के अन्य राज्यों से और विदेशों से भी भक्त इस समागम में अपने सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के दर्शन के लिए पहुंचे हुए थे।समागम के पहले दिन संत निरंकारी मंडल की तरफ से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया गया, जिसमे तमाम मीडियाकर्मी को मंडल के ओर से प्रिमल सिंह जी, विवेक मौजी जी, राज मामी जी और लव्हटे जी ने समागम की विस्तृत जानकारी सांझा की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में हमारी टीम से मुंबई ब्यूरो चीफ संतोष पाठक वहां मौजूद थे।प्रेस कॉन्फ्रेंस में संत निरंकारी मंडल की ओर से प्रिमल सिंह ने बताया कि, इस समागम में महाराष्ट्र और देश भर से तीन लाख भक्त सतगुरु माताजी के दर्शन के लिए पहुंचे हैं। वहीँ विदेशों से भी करीब 100 भक्त यहाँ पहुंचे हैं। विवेक मौजी जी ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस बार भी समागम में सामूहिक शादी का आयोजन किया गया है जिसमे इस बार सतगुरु माताजी और निरंकारी राजपिता के सान्निध्य में 50 जोड़े शादी के पवित्र बंधन में बंधेंगे। बाद में मिडिया के हर सवालों का जवाब बहुत ही सुन्दर तरीके से संत निरंकारी मंडल की ओर से दिया गया। समागम का शुभारम्भ भव्य शोभा यात्रा द्वारा किया गया। शोभा यात्रा में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज और उनके जीवनसाथी निरंकारी राजपिता रमित जी फूलों से सजाई गयी एक पालकी में विराजमान थे। जहाँ उनके सामने अपने पारम्परिक कलाओं का प्रदर्शन करके श्रद्धालु दिव्य युगल जोड़ी से आशीर्वाद ले रहे थे। फिर दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे तक पंडाल में सत्संग का कार्यक्रम चला और फिर 9 बजे के बाद सतगुरु माताजी के प्रवचन के साथ पहले दिन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। दूसरे दिन सुबह सेवादल रैली का कार्यक्रम किया गया जिसमे सेवादल के हजारों भाई बहनो ने रैली में हिस्सा लेकर अपने सतगुरु सुदीक्षा जी महाराज और निरंकारी राजपिता का आशीर्वाद प्राप्त किया। फिर दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे तक पंडाल में सत्संग का कार्यक्रम चला और फिर 9 बजे के बाद सतगुरु माताजी के प्रवचन के साथ दूसरे दिन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। और तीसरे दिन दोपहर 3 बजे से ससंग का कार्यक्रम शुरू हुआ और हर वर्ष कि भांति इस वर्ष भी कवि दरबार का आयोजन किया गया जिसमे कई कवियों ने अपने भाव को अपनी कविताओं के माध्यम से रखा। और फिर रात 8:30 बजे के बाद निरंकारी राजपिता रमित जी ने अपने प्रवचन के द्वारा भक्तों को आशीर्वाद दिया। तत्पश्चात सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने अपने प्रवचन के जरिये भक्तों को भरपूर आशीर्वाद दिया। इस समागम में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी निरंकारी प्रदर्शनी भक्तों और बाहर से आये हुए अतिथियों के आकर्षण का केंद्र थी। इस प्रदर्शनी में संत निरंकारी मिशन के 94 वर्षों का इतिहास और उनके द्वारा किये गए समाज कल्याण का उल्लेख तस्वीरों के द्वारा किया गया था। समागम में चार स्थानों पर लंगर की व्यवस्था की गयी थी। एक बार में करीब 72 क्विंटल चावल पकाये जाते थे। और एक बार में एक विशाल तवे पर करीब सौ रोटियां पकाई जाती थी। समागम में सबके रहने की निःशुल्क व्यवस्था की गयी थी। इस समागम को सुन्दर रूप देने के लिए दो महीने पहले ही तैयारी शुरू हो गयी थी जहाँ भक्तगण इस समागम को सफल बनाने के लिए दिन रात निःस्वार्थ सेवा में लगे रहे। समागम में करीब 15000 स्वंयसेवक सेवा में तैनात थे। इस समागम का मुख्य केंद्र पंडाल था जहाँ मुख्य मंच पर सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज और निरंकारी राजपिता रमित जी विराजमान थे। और उनके सामने देश विदेश से आये हुए भक्तगण अपने अनुभव गीत, विचार या कविताओं के माध्यम विभिन्न भाषाओं में रख रहे थे। समागम में जहाँ समाज से जुड़े कई गणमान्य और प्रतिष्ठित लोग पहुंचे वहीँ समागम के अंतिम दिन रविवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे जी भी पहुंचे और सतगुरु माताजी का आशीर्वाद प्राप्त किया। संत निरंकारी मिशन की तरफ से उनका भव्य सत्कार किया गया। समागम पंडाल में मुख्यमंत्री महोदय कुछ देर बैठकर श्रद्धालुओं के गीत और विचार भी श्रवण किये। अंत में मुख्यमंत्री महोदय ने अपने सम्बोधन में संत निरंकारी मिशन के समाज के प्रति किये गए सेवा कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ” मै आपके परिवार का ही एक हिस्सा हूँ। मै जब सिर्फ विधायक था तब भी मेरे इलाके में आपके सत्संग और अन्य कार्यों में योगदान देने का मुझे मौका बराबर मिलता रहा है। संत निरंकारी मिशन के द्वारा चलाये गए रक्तदान शिबिर हो या कोरोना काल में किये गए मानवीय कार्य हो या फिर बाढ़ में किये गए सेवा कार्य हो उसकी जितनी प्रशंसा की जाये कम है। ” अंत में उन्होंने समागम में आने पर खुद को सौभाग्यशाली माना और लाखों की संख्या में श्रद्धालओं का और सतगुरु माताजी का धन्यवाद किया।