बताया जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने दिल्ली में पांच मंदिरों की स्थापना की थी। उन्हीं पांच मंदिरों में से एक है यह प्राचीन हनुमान मंदिर। अन्य चार मंदिरों में शामिल हैं दक्षिण दिल्ली का काली मंदिर-‘कालकाजी’, कुतुब मीनार के निकट योगमाया मंदिर, पुराने किला के निकट भैरो मंदिर एवं निगम बोध घाट स्थित नीली छतरी महादेव मंदिर।
दरअसल दिल्ली का प्राचीन नाम इंद्रप्रस्थ है। महाभारत काल में पांडवों ने इस शहर को यमुना नदी के किनारे बसाया था। तब पांडव इंद्रप्रस्थ पर और कौरव हस्तिनापुर पर राज करते थे। दोनों ही कुरु वंश के थे। ऐसी मान्यता है कि पांडवों के द्वितीय भाई भीम और हनुमान दोनों भाई थे इसलिए दोनों को वायु-पुत्र ही कहा जाता है। हनुमान से इस लगाव के कारण ही पांडवों ने इस हनुमान मंदिर की स्थापना दिल्ली में की। पांचों मंदिरों की काफी महत्ता है। आज नई दिल्ली कनाट पैलस स्थित महन्त सुरेश शर्मा की अध्यक्षता मे सिद्ध हनुमान मंदिर में सुन्दर कांड पाठ हुआ तत्पश्चात मंदिर प्रांगण से भव्य शोभा यात्रा का आयोजन हुआ शोभा यात्रा कनाट पैलेस, मद्रास होट्ल, गोल मार्केट, गुरूद्वारा बन्गला साहिब , हनुमान रोड, होते हुए वापिसी हनुमान मंदिर पर सम्पन्न हुई हजारों की संख्या में स्थानीय लोगों ने शोभा यात्रा का पुष्प् माला पहनाकर स्वागत किया तथा जगह जगह जल पान का भी प्रबंध भी किया गया था
कार्यक्रम का आयोजन भगीरथी सामाजिक मंच द्वारा किया गया कार्यक्रम मे शामिल राजेन्द्र बिष्ट, विनोद शर्मा (उदय) बबेक सिह माटा, कृष्ण कुमार सिन्घल, राम राज्य परिषद के राष्ट्रीय प्रचार प्रसार मंत्री प्रमोद माहेश्वरी आदि हजारों की संख्या में धर्म परायण लोगों ने हिस्सा लिया