मोदी सरकार ने 18 सितंबर से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाया है… मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से यह कहा गया है कि सरकार संसद के विशेष सत्र में ‘एक देश, एक चुनाव’ से जुड़ा बिल ला सकती है… संसद के इस विशेष सत्र में 5 बैठकें होंगी… बता दें कि वन नेशन, वन इलेक्शन का विचार पहली बार साल 1983 के आसपास चुनाव आयोग द्वारा ही दिया गया था… आजादी के बाद देश में पहली बार 1951-52 में लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं का चुनाव एकसाथ ही हुआ था… और 1957, 1962 और 1967 में भी ऐसा ही हुआ लेकिन इसके बाद कुछ विधानसभाओं के समय से पहले भंग हो जाने की वजह से यह साइकिल टूट गई और साल 1968 और 1969 में यहां चुनाव करवाए गए… इसके बाद 1970 में लोकसभा ही समय से पहले भंग कर दी गई… जिसके बाद धीरे-धीरे चुनाव की साइकिल ही बिगड़ गई और अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव करवाए जाने लगे… चुनाव प्रक्रिया में बहुत बड़ी धनराशि खर्च होती है… पूरे देश में एकसाथ चुनाव होता है तो समय और धन की बचत तो होगी ही चुने हुए जनप्रतिनिधियों को विकास कार्यों में ज्यादा ध्यान लगाने का समय मिलेगा… चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से रुकने वाली विकास की साइकिल भी लगातार 5 साल बिना रुके चल सकेगी…