आईएफटीएम विश्वविद्यालय में “विज्ञान पत्रकारिता और जनसंचार में वैज्ञानिक शब्दावली की भूमिका और प्रचार प्रसार की चुनौतियां” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न

आईएफटीएम विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के सहयोग से “विज्ञान पत्रकारिता और जनसंचार में वैज्ञानिक शब्दावली की भूमिका और प्रचार प्रसार की चुनौतियां” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी शनिवार सफलता पूर्वक संपन्न हो गई। संगोष्ठी प्रभारी व उक्त आयोग के सहायक निदेशक डॉ. अशोक सेलवटकर एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. संजीव अग्रवाल ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वल व पुष्पार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस पर कार्यक्रम के संरक्षक व विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री राजीव कोठीवाल ने संगोष्ठी के सफल आयोजन हेतु शुभकामनाएं दीं। मुख्य अतिथि व आयोग के अध्यक्ष प्रो. गिरीश नाथ झा ने कहा कि भारत प्राचीनकाल से ही पूरे विश्व में ज्ञान की अलख जगाता रहा है। लेकिन वर्तमान समय में परिस्थितियां बदल गई हैं। अपनी परंपराएं भुलाते हुए सभी विदेशी भाषा के आगोश में समाते चले जा रहे हैं और अपनी निर्भरता विदेशी भाषाओं के प्रति बढ़ाते जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार हिंदी सहित अन्य भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दे रही है ताकि भारत के युवा अपनी भाषा में विज्ञान को समझ कर अपनी प्राचीनतम पहचान को दुबारा स्थापित कर सकें।

 

 

न्यूज पेपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महासचिव डॉ. विपिन गौड़ ने कहा कि विश्व के कई देश अपनी भाषा में काम करते हुए विश्व में अपनी पहचान बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान और तकनीकी भाषा शब्दावलियों के प्रचार प्रसार में मीडिया की बड़ी भूमिका है। मीडिया के माध्यम से विज्ञान, कृषि, इंजीनियरिंग तथा अन्य तकनीकी क्षेत्रों में प्रयुक्त होने वाले क्लिष्ट शब्दों को सरल करके उन्हें प्रसिद्धि दिलाई जा सकती है। इससे विज्ञान के प्रति ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोगों में भी विज्ञान के प्रति अभिरुचि बढ़ाने में मदद मिल सकेगी। गौड़ ने कहा जिस प्रकार हम आम का बीज बोते हैं और आम ही खाने को मिलता है उसी प्रकार अगर हम अपने बच्चों को घर पर स्कूल पर हिंदी के शब्दों का प्रयोग बताएंगे तो बच्चों को हिंदी के गुण बचपन सी हे पता रहेंगे।

कार्यक्रम के सह संरक्षक व कुलपति प्रो. महेन्द्र प्रसाद पाण्डेय ने शिक्षा के क्षेत्र में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सरकार और आयोग और आयोजकों के प्रयास की की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के प्रयोग से देश युवा लाभान्वित होंगे और विज्ञान तथा तकनीकी के क्षेत्र में अपना योगदान दे सकेंगे। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलसचिव प्रो. अग्रवाल ने कहा कि विद्यार्थियों के बीच प्रभावी संचार के लिए क्षेत्रीय भाषाओं को अपनाना होगा, लेकिन विश्व में हो रहे नवाचारों को जानने के लिए अन्य भाषाओं को भी जानना जरूरी है। प्रतिकुलपति रिसर्च एंड डेवलपमेंट व संगोष्ठी के संयोजक प्रो. नवनीत वर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत की।

 

डॉ. सेलवटकर ने आयोग का परिचय, योगदान और योजनाओं जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि आयोग विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाली हिंदी सहित अन्य क्षेत्रीय भाषा शब्दावलियों के प्रचार प्रसार को बढ़ाव दे रहा है। कार्यक्रम में उपस्थित इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च के पूर्व निदेशक (शोध) व विशिष्ट अतिथि डॉ. अजय गुप्ता ने कहा कि प्राचीन भारतीय ग्रन्थ में वर्णित विज्ञान और तकनीक पर पूरी दुनियां में अध्ययन हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी प्राचीन ज्ञान परम्पराओं को युवाओं में फिर से जागृत करने की आवश्यकता है। गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन के प्रोफेसर और डीन प्रो. दुर्गेश त्रिपाठी ने गुणवत्ता पर जोर देते हुए कहा कि यदि हम गुणवत्ता पर ध्यानदेंगे और अपनी भाषाओं में नया आविष्कार करेंगे तो विश्व के कई देश उस भाषा को महत्व देंगे।

दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में छह तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। संगोष्ठी में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. निमिष कपूर, ट्रिपल आईटी ग्वालियर के पूर्व निदेशक प्रो. ओम विकास, जेएनयू, नई दिल्ली के प्रो. अजय सक्सेना, अवध यूनिवर्सिटी अयोध्या के पूर्व उद्यान अधीक्षक डॉ. राजकिशोर सहित आईएफटीएम विश्वविद्यालय के प्रो. मनोज कुमार, डॉ. हरप्रीत सिंह, अधिष्ठाता छात्र कल्याण तथा साहू ओंकार स्कूल ऑफ फार्मेसी के निदेशक प्रो. अरुण कुमार मिश्रा ने भी अपने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। तकनीकी सत्र के अंत में एक परिचर्चा भी आयोजित की गई। जिसका संचालन दैनिक जागरण न्यू मीडिया के एक्जीक्यूटिव एडिटर श्री अनुराग मिश्र ने किया। दो दिवसीय संगोष्ठी का संचालन डॉ. स्वाति राय तथा ने किया। प्रो. मिश्रा और आयोजन सचिव डॉ. राजेश कुमार शुक्ल ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और पत्रकारों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर आईएफटीएम विश्वविद्यालय के अलावा विभिन्न राज्यों के 125 से अधिक शिक्षक व शोधार्थी उपस्थित रहे।