जोहार झारखंड,
यह बहुत हर्ष की बात है कि आज अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस है। मैं सबसे पहले मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास जी को इसकी बधाई देता हूं, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के इस पावन अवसर पर नवसाक्षर बहनों एवं भाईयों के इस अभूतपूर्व समागम का आयोजन किया है। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि इस अवसर पर मैं आप सब के बीच उपस्थित हूं।
मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हो रही है कि मुख्यमंत्री, झारखंड के नेतृत्व में स्कूली साक्षरता विभाग, झारखंड द्वारा सघन अभियान चलाया गया है, जिसके फलस्वरूप विगत दो-तीन वर्षों में 32 लाख से भी अधिक निरक्षर भाई-बहनों को पूर्ण साक्षर बनाने का काम किया गया। साथ ही झारखंड के लगभग पाँच सौ पंचायतों के साथ-साथ कई प्रखंडों को पूर्ण साक्षर बनाने की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की गई है। इन कार्यों ने संपूर्ण साक्षर भारत के सपने को पूरा करने में भारत सरकार के संकल्प को एक नई दिशा दी है।
मुझे यह भी बताया गया है कि संपूर्ण साक्षरता की दिशा में झारखंड सरकार ने यह संकल्प लिया है कि वर्ष 2019-20 तक झारखंड राज्य को पूर्ण साक्षर बनायेंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि मुख्यमंत्री झारखंड की अगुवाई में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग अपने इस लक्ष्य को अवश्य हासिल करेगा। इस कार्य में शिक्षा जगत से जुड़े सभी लोगों, चाहे वो सरकारी पदाधिकारी, प्रेरक या स्वयंसेवी शिक्षक हों, उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी। मैं उन्हें शुभकामना देता हूं कि संपूर्ण साक्षरता के इस कार्य में वे तन-मन से सम्मिलित हों।
निरक्षरता एक अभिशाप है। किसी भी राष्ट्र के विकास में सबसे बड़ी बाधा निरक्षरता ही है। निरक्षरता के कारण जनता अपने अधिकार एवं कर्त्तव्यों को ठीक से नहीं समझ पाती है। जिसके कारण उन्हें सरकार द्वारा चलाई जा रही विकास की सभी योजनाओं का पूरा-पूरा लाभ नहीं मिल पाता। झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है एवं सर्वाधिक आबादी आदिवासी जनता की ही है। जब तक राज्य का प्रत्येक नागरिक साक्षर नहीं हो जाता है तब तक विकास की योजनायें समुचित रूप से हर एक नागरिक तक नहीं पहुंचेंगी। “सबका साथ सबका विकास” तभी सुनिश्चित हो सकता है जब पूरा झारखंड प्रदेश साक्षर हो।
इसलिये भाईयों एवं बहनों, भारत के संपूर्ण विकास के लिये भारत की जनता का साक्षर होना बहुत जरूरी है। पुरुषों के साथ साथ महिलाओं को भी साक्षर होना होगा। यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि झारखंड सरकार ने भी महिला साक्षरता को प्राथमिकता दी है और जिसके परिणामस्वरूप नवसाक्षर, बनने वालों में 70 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है। मुझे विश्वास है कि झारखंड सरकार के प्रयासों से अगले एक दो वर्षों में पुरुष एवं महिला साक्षरता दर के अंतर को 10 प्रतिशत से भी कम कर दिया जायेगा।
साक्षरता एक सामाजिक अभियान के रूप में चलाना चाहिए। सरकार के नेतृत्व में हर गांव और नगरपालिकाओं में जो प्रजा प्रतिनिधि हैं, समाजसेवी है, प्राइवेट संस्था है, अध्यापकगण हैं, माता-पिता है – सबसे मैं आग्रह करता हूं कि इस अभियान में सक्रिय रूप से सम्मिलित हों। आप एक नये भारत का निर्माण करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर आज की इस सभा में जो हमारे नवसाक्षर भाई-बहन उपस्थित हैं, उन्हें मैं साक्षर होने के लिये बहुत बधाई देता हूं। आपको जिन्होंने साक्षर बनाया है या आपको साक्षर बनाने में सरकार तथा समाज के प्रतिनिधियों ने जो भूमिका निभाई है, वे भी मेरी हार्दिक बधाई के पात्र हैं।
मेरा सभी नवसाक्षर भाईयों और बहनों से अनुरोध होगा कि जिस प्रकार आप साक्षर बनें हैं, उसी प्रकार अपने आसपास के निरक्षर भाईयों और बहनों को भी साक्षर बनने की प्रेरणा दें और इसके लिए उनको पूरा सहयोग प्रदान करें, तभी आपका साक्षर होना सार्थक होगा।
अक्षरज्ञान एक नाव है जो विकास के उस पार तक हमें ले जा सकती है। यह नींव है समृद्ध भारत, स्वच्छ भारत, सशक्त भारत और समरस भारत के भव्य भवन की।
अंत में, मैं मुख्यमंत्री, झारखंड, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, नवसाक्षर भाइयों एवं बहनों तथा साक्षरता से जुड़े सभी कर्मियों को पुन: बहुत-बहुत बधाई एवं धन्यवाद देता हूँ।