स्वतंत्रता संग्राम के हमारे वीर क्रांतिकारियों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने 23 मार्च 1931 को देश की खातिर हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया था. लेकिन उन्हें आज तक सरकार की तरफ से शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है. इनके परिजनों ने तीनों को शहीद का दर्जा देने की मांग की है और कहा है कि इसके लिए 23 मार्च यानी शुक्रवार से ही दिल्ली में वे अनश्चितकालीन अनशन करेंगे.
तो जिस देश में बच्चा-बच्चा यह गीत गाता हो ‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले’ वहां के अमर शहीदों के परिजनों को उन्हें आधिकारिक रूप से ‘शहीद’ घोषित कराने के लिए अनशन करना पड़ रहा है.
साल 2013 में कांग्रेस सरकार के दौरान डाली गई एक आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ था कि केंद्र सरकार भगत सिंह
को दस्तावेजों में शहीद नहीं मानती. तब से भगत सिंह के वंशज भी शहीद भगत सिंह ब्रिगेड के बैनर तले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को सरकारी रेकॉर्ड में शहीद घोषित करवाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. मामला संसद में भी उठ चुका है. लेकिन अब तक सरकार ने इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है. सितंबर 2016 में इसी मांग को लेकर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के वंशज जलियांवाला बाग से इंडिया गेट तक शहीद सम्मान जागृति यात्रा निकाल चुके हैं.
राजगुरु के परिजनों ने कहा, ‘देश की आजादी को 70 साल हो गए हैं, लेकिन आज तक उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है.’ गौरतलब है कि भगत सिंह और राजगुरु ने 1928 में लाहौर में एक ब्रिटिश जूनियर पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी. असल में यह हत्या गलती से हुई क्योंकि वे एक ब्रिटिश पुलिस सुपरिन्टेंडेंट की हत्या करना चाहते थे. भारत के तत्कालीन वायसरॉय लॉर्ड इरविन ने इस मामले पर मुकदमे के लिए एक विशेष ट्राइब्यूनल का गठन किया, जिसने तीनों को फांसी की सजा सुनाई. तीनों को 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल के भीतर ही फांसी दे दी गई.
आजादी के बाद से ही लगातार इन तीनों क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा देने की मांग की जाती रही है. हालांकि दिसंबर, 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए ऐसी एक याचिका को खारिज कर दिया था कि ‘वह इस बारे में ऐसा कोई निर्देश नहीं दे सकता.’
अब सुखदेव के परिवार ने इसकी मांग करते हुए दिल्ली में अनिश्चितकालीन अनशन करने की घोषणा की है. सुखदेव के एक रिश्तेदार ने कहा, ‘हम दिल्ली जा रहे हैं और तब तक अनिश्चितकालीन अनशन करेंगे, जब तक तीनों क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा नहीं दे दिया जाता. इस अनशन में भगत सिंह के परिजन भी शामिल होंगे.’
गौरतलब है कि एक अन्य संस्था ‘स्वाभिमान देश का’ 23 मार्च को 3 बजे, दिल्ली के इंडिया गेट से एक शहीद स्वाभिमान यात्रा शुरू कर रही है. यह यात्रा 15 हज़ार किमी तक चलेगी और 29 राज्य को कवर करते हुए 90 दिन तक चलेगी. इस यात्रा का शुभारंभ थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत करेंगे.