नहीं रहे मेरे प्रेरणा स्रोत मेरे मित्र बड़े भाई भय्यूजी महाराज यक़ीन नही होता । परेशान थे । यह तो पता था । लेकिन निजी जिंदगी की कलह इतना बड़ा क़दम उठाने पर मजबूर कर देगी – कल्पना से परे था । चन्द रोज़ पहले मुम्बई में एक कार्यक्रम में हम साथ थे । कुछ झंझावातों का अंदेशा तो हुआ था । मगर फिर ख़्याल आया कि अपने व्यवहार से दूसरों को शांति देने वाला अपनी समस्या का समाधान भी खोज ही लेगा । बहरहाल । मेरे लिए एक अच्छे दोस्त व बड़े भाई जैसे थे । अनेक कठिनाइयों का ज़िक्र करते थे पर ऐसा हो जाएगा सोचा भी न था मेरी विनम्र श्रद्धांजलि । पूरी जानकारी आप सभी के साथ साझा कर रहा हूँ |
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में भय्यूजी महाराज ने खुदखुशी कर ली खुद को गोली मार कर . उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. हालाँकि अभी तक घटना के कारणों का पता नहीं चल पाया है. घटना के फौरन बाद भय्यूजी को इंदौर के बॉम्बे अस्पताल में भर्ती कराया गया था , उनकी मौत से उनके भक्त और समर्थक गहरे सदमे में हैं.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसी साल भय्यूजी महाराज सहित पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देने की घोषणा की थी. लेकिन मॉडल संत के नाम से मशहूर भय्यूजी महाराज ने शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिए गए पद को ठुकरा दिया था. भोपाल में अप्रैल के मध्य में आयोजित एक कार्यक्रम में भय्यूजी महाराज और नर्मदानंद महाराज ने कहा था कि उन्होंने कभी राज्यमंत्री का पद स्वीकार ही नहीं किया. भय्यूजी महाराज ने कहा था कि उन्हें सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा तो दे दिया, लेकिन उन्होंने इस पद का उपयोग और उपभोग नहीं किया है.
वहीं पीएम बनने के पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी सद्भावना उपवास पर बैठे थे. उस उपवास को तुड़वाने के लिए उन्होंने भय्यू महाराज को आमंत्रित किया था. उनका सदगुरु दत्त धामिर्क ट्रस्ट नाम का ट्रस्ट भी चलता है. अपने ट्रस्ट के जरिए वह स्कॉलरशिप बांटते थे. कैदियों के बच्चों को पढ़ाते थे. और किसानों को खाद-बीज मुफ्त बांटते थे.