जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज के बयान पर विवाद बढ़ता जा रहा है. सैफुद्दीन सोज ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के उस बयान का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि कश्मीरी आजादी चाहते हैं. शुक्रवार सुबह जब इस मुद्दे पर आजतक ने उनसे बात की तो वह सवालों पर बौखला गए और बीच में ही इंटरव्यू छोड़ कर भाग गए.
आजतक के साथ बातचीत में उन्होंने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि कश्मीर में अगर शांति स्थापित करनी है तो हर किसी से बात करनी होगी. उन्होंने अलगाववादी नेताओं से भी बात करने का समर्थन किया. हालांकि, उन्होंने कहा कि इस बयान का उनकी पार्टी कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है.
सैफुद्दीन सोज ने कहा कि कश्मीरी लोग ना हिंदुस्तान के साथ आना चाहते हैं ना ही पाकिस्तान के साथ, वो सब आजादी चाहते हैं. लेकिन ये आजादी नामुमकिन है.कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर केंद्र कश्मीर के मुद्दे को सुलझाना चाहता है कि उसे कश्मीरियों के प्रति एक ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे वह सुरक्षित महसूस कर सकें और बातचीत को तैयार हो पाएं. बात करने के लिए हुर्रियत ग्रुप से पहले बात होनी चाहिए और उसके बाद मेनस्ट्रीम पार्टियों से बात होनी चाहिए. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि घाटी में सेना बढ़ाने से सिर्फ कश्मीरी मारे जाएंगे लेकिन यहां शांति स्थापित नहीं हो पाएगी.
जब उनसे कहा गया कि वह उन अलगाववादियों से बात करने की बात कर रहे हैं जो पाकिस्तान का समर्थन करते हैं तो वह इन सवालों पर बौखला गए. और कहा कि अलगाववादियों से राजनीतिक तौर पर बात जरूर होनी चाहिए.
कश्मीर मुद्दे पर मुशर्रफ-वाजपेयी-मनमोहन के फॉर्मूले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध बढ़ने चाहिए, आवाजाही बढ़नी चाहिए जब दोनों देशों के लोग करीब आएंगे तो ही बात बनेगी. उन्होंने बताया कि परवेज मुशर्रफ ने काफी हद तक अपने देश में इस तरह का माहौल बना लिया था कि ये ही एक रास्ता है जिससे शांति लाई जा सकती है.