2019 का लोकसभा चुनाव होने में करीब आठ महीने का वक्त बचा है लेकिन राजनीतिक लड़ाई की पिच पूरी तरह से तैयार है. इस बीच कई राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनावी एजेंडा तैयार करने वाले प्रशांत किशोर की संस्था (I-PAC) का लोकसभा चुनावों से पहले किया गया सर्वे सामने आया है.
इस सर्वे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सर्वाधिक लोगों ने ‘देश के एजेंडे’ को आगे ले जाने वाला नेता चुना है. सर्वे में कुल 57 लाख लोग शामिल हुए थे, जिसमें से 48 फीसदी लोगों को मानना है कि नरेंद्र मोदी ही ‘देश के एजेंडे’ को आगे ले जाने के लिए सबसे सही च्वाइस हैं.
इस लिस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद दूसरा नंबर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का है. लेकिन वोट प्रतिशत के हिसाब से वह पीएम मोदी से काफी पीछे हैं, राहुल को मात्र 11.2 फीसदी लोगों ने वोट दिया है. दिल्ली के सीएम केजरीवाल राहुल से कुछ ही प्वाइंट पीछे दिख रहे हैं, केजरीवाल को 9.3 फीसदी लोगों का वोट मिला है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बाद इस लिस्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बसपा सुप्रीमो मायावती का नाम है. इस सर्वे में देश के मौजूदा मुद्दों, किसान, राजनीतिक हलचलों, शिक्षा और खेल से जुड़े सवालों पर लोगों से राय मांगी गई. इसके अलावा लोगों से पूछा गया कि उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा क्या है, जिसमें महिलाओं की सुरक्षा को सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बताया गया है. वहीं किसानों की समस्या को दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा बताया गया है. इसके अलावा देश में राजनीति के अलावा कौन वो बड़े चेहरे हैं जिनका समाज पर प्रभाव है इस पर भी लोगों से सवाल पूछे गए. लोगों से पूछा गया कि ऐसी कौन-सी हस्तियां हैं जिन्हें राजनीति में शामिल होना चाहिए. वोटों के मुताबिक, सर्वाधिक लोग चाहते हैं कि बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान को राजनीति में आना चाहिए. आमिर के बाद अक्षय कुमार, समाजसेवी अन्ना हजारे और योगगुरु रामदेव का नाम लिस्ट में शामिल है.
कौन हैं प्रशांत किशोर?
बता दें कि राजनीतिक हल्कों में प्रशांत किशोर एक बड़ा नाम हैं. 2014 के लोकसभा चुनावों की तैयारी में प्रशांत टीम मोदी का हिस्सा थे. लेकिन 2015 में उन्होंने बिहार में नीतीश कुमार का साथ दिया था. इन दोनों जगह उन्हें जीत हासिल की थी, लेकिन 2017 में उन्होंने सपा-कांग्रेस के साथ काम किया था जहां उन्हें हार मिली थी.