डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू में जल शक्ति और आपदा प्रबंधन पर केन्द्रित ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ सम्मेलन का उद्घाटन किया

केंद्रीय राज्य मंत्री (पीपी) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश के अन्य हिस्सों में लागू सभी केंद्रीय कानून अब नवनिर्मित केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर (जम्मू-कश्मीर) और लद्दाख पर भी लागू होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे लगभग 854 कानून हैं जो नागरिक-अनुकूल हैं और जिनसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के आम आदमी को लाभ मिलेगा, पहले वे इनसे वंचित थे। श्री सिंह ने कहा कि लोगों को यह बात समझ लेनी चाहिए कि अनुच्छेद 370 हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो गया है और इसकी पूरी तरह से विदाई हो चुकी है। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री श्री अमित शाह का दृढ़ संकल्प है। उन्होंने संघ शासित प्रदेश के लोगों से अपील की कि वे निहित स्वार्थों वाले अराजक तत्वों पर ध्यान न दें और आम जनता के लिए  कल्याणकारी सहायता प्रदान करने में सरकार का सहयोग करें। श्री जितेन्द्र सिंह जम्मू में आज जलशक्ति और आपदा प्रबंधन पर केन्द्रित दो दिवसीय ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। आज से शुरू यह सम्मेलन कल 1 दिसम्बर तक चलेगा। सम्मेलन का आयोजन तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर की सरकारों के सहयोग से प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा किया जा रहा है।

सम्मेलन के दौरान डॉ. जितेंद्र सिंह ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में शासन के सफल नवाचारों पर आधारित ई-पत्रिका के विशेष अंक ‘मिनिमम गवर्मेंट मैक्सिमम गवर्नेंस’ को जारी किया। इन नवाचारों में गांव की ओर लौटोः एक जन कार्यक्रम, पंचायत चुनावः जम्मू-कश्मीर पंचायती राज कानून 1989 में संशोधन के लिए आईईसी अभियान, परियोजना केआरईडीए करगिल लद्दाख, परियोजना त्संगडा लेह: एक कचरा प्रबंधन कार्यक्रम, सभी को बिजली: जम्मू और कश्मीर राज्य में सभी घरों का विद्युतीकरण, परियोजना जलशक्ति: रियासी, संविधान विकास निधि प्रबंधन सूचना प्रणाली बडगाम, परियोजना सौभाग्य प्लस गांदरबल, बालिका शिक्षा को सक्षम बनाना बांदीपुरा, लुप्त तालाबों का पुनरुद्धार कठुआ, बारामूला के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्कूलों में नामांकन अभियान और समुदायिक समर्थन से बुनियादी ढांचे में सुधार शामिल हैं।

उन्होंने भारत सरकार के लोक शिकायत पोर्टल सीपीजीआरएएमएस और जम्मू-कश्मीर के आवाज-ए-अवाम पोर्टल के एकीकरण का भी शुभारंभ किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सुशासन प्रथाओं की प्रतिकृति पर डीएआरपीजी द्वारा थोड़े समय में आयोजित होने वाला यह दूसरा बड़ा सम्मेलन है, पहला सम्मेलन 15-16 नवंबर को आयोजित किया गया था। उन्होंने खुशी जताते हुए बताया कि पहले सम्मेलन में 19 राज्यों और 4 संघ शासित प्रदेशों के लगभग 450 प्रतिनिधि शामिल हुए थे और दूसरे सम्मेलन में लगभग 350 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास मॉडल को इन संघ शासित प्रदेशों में भी लागू किया जाएगा। उन्होंने आगामी पंचायत अदालत और बांस कार्यशाला की भी चर्चा की। ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ सम्मेलन के मुख्य विषय के बारे में श्री सिंह ने कहा  कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर एक अहम पहल है और दोनों संघ शासित प्रदेशों को इसके फायदे मिलने जा रहे हैं। यह सम्मेलन इन केंद्र शासित प्रदेशों को तमिलनाडु की अच्छी पहलों, खासकर नदी प्रबंधन, को दोहराने और सीखने का अवसर प्रदान करेगा।

आपदा प्रबंधन पर श्री सिंह ने कहा कि पहले आपदाओं पर काम प्रतिक्रियात्मक हुआ करता था, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, यह अब सक्रिय हो गया है। उन्होंने कहा कि अब निवारक उपायों और नुकसान को कम करने पर ध्यान केंद्रित है। उन्होंने बताया कि अब हमारे पास संकट को कम करने के लिए एक विश्वसनीय प्रौद्योगिकी उपलब्ध है और अब हम पहले ही आपदाओं का पूर्वानुमान लगा सकते हैं और समय रहते प्रशासन को सूचित कर सकते हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री का ध्यान प्रौद्योगिकी के अधिकतम इस्तेमाल और समय पर निगरानी पर है। उन्होंने कहा कि जल शक्ति अभियान सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है और इसके लिए एक अलग मंत्रालय बनाया गया है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में शाहपुर कंडी और उज्ह नदी परियोजनाओं से संबंधित मुद्दों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि पहले से रुकी हुई परियोजनाओं पर काम में अब तेजी लाई जाएगी । उन्होंने कहा कि उत्तरी क्षेत्र के संघ शासित प्रदेश और दक्षिणी राज्यों के बीच यह अनोखा संबंध कश्मीर से कन्याकुमारी तक सुशासन का संदेश देगा।

श्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में कतार में आखिरी आदमी तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी बताया कि इन संघ शासित प्रदेशों को काफी विचार-विमर्श के साथ गठित किया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार, न्यूनतम मजदूरी का अधिकार, दहेज निषेध कानून और भ्रष्टाचार, सतर्कता एवं माता-पिता के कल्याण जैसे  सभी केंद्रीय कानून अब इन संघ शासित प्रदेशों में लागू किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी ली है और वह इसे पूरा करेगी।

सम्मेलन में  तमिलनाडु के राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री श्री आर. बी. उदयकुमार ने जम्मू में जल शक्ति और आपदा प्रबंधन पर केन्द्रित ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पर क्षेत्रीय सम्मेलन में भाग लेने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि इस सहयोग से घरेलू उपभोग, कृषि और अन्य उपयोगों में जल संसाधनों के अधिकतम इस्तेमाल के क्षेत्र में तकनीकी विशेषज्ञता और बेहतर प्रथाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन पर अनुभवों को साझा करने से हमारी तैयारी, त्वरित प्रतिक्रिया, त्वरित पुनर्वास और पुनर्प्राप्ति की मदद से इसके प्रतिकूल प्रभावों की भयावहता को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि प्रत्येक आपदा अपनी प्रकृति में अलग होती है और हमें बेहतर तैयारी के लिए सबक सिखाती है। उन्होंने कहा कि पानी का कुशलता से उपयोग करने का अनुभव निश्चित रूप से प्रतिभागियों के लिए उपयोगी होगा।

जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल श्री जी. सी. मुर्मू ने कहा कि विभिन्न राज्यों की सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने का यह एक गौरवपूर्ण विशेषाधिकार और बड़ा अवसर है। उन्होंने जल संरक्षण के महत्व और प्राकृतिक संसाधनों की स्थिरता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को मानसून और अन्य जलवायु परिस्थितियों के आधार पर फसल पैटर्न का अध्ययन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पानी को बचाने और पानी की कमी के संकट को कम करने के लिए कुछ संरचनात्मक कार्य करना चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बात पानी की उपलब्धता की ही नहीं बल्कि उसकी गुणवत्ता की भी है। श्री मुर्मू ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान ने साबित कर दिया है कि स्वच्छता कैसे लोगों के जीवन को बेहतर बना सकती है। प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के दौरान नागरिकों की भूमिका पर उन्होंने कहा कि किसी भी आपदा के समय आम नागरिक ही पहले आगे आता है, इसलिए उनका सशक्तिकरण आवश्यकता है। उन्होंने नागरिकों के बीच अग्रिम चेतावनी और एसएमएस सेवा के माध्यम से जागरूकता फैलाने पर जोर दिया।

जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव श्री बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम ने इस सम्मेलन के आयोजन के लिए डीएआरपीजी की सराहना की। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए सम्मेलन का विषय उपयुक्त है। उन्होंने कहा कि देश का कोई भी क्षेत्र जम्मू-कश्मीर जैसी प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त नहीं है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हर घर तक पानी पहुंचाया जाएगा और जून 2021 तक पूरे राज्य में पाइप से पानी की आपूर्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु पानी के सर्वश्रेष्ठ उपयोगकर्ताओं में से एक है और वह जल संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करता है।

डीएआरपीजी के अतिरिक्त सचिव श्री वी. श्रीनिवास ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि डीएआरपीजी ने सितंबर में डीएआरपीजी प्रतिनिधिमंडल के जम्मू-कश्मीर यात्रा सहित कई पहलें की हैं, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ सहयोग को गति मिली है। उन्होंने कहा कि 15-16 नवंबर को डीएआरपीजी के सम्मेलन में ‘सुशासन संकल्प: जम्मू प्रस्ताव’ को अपनाया था और इसके दो बिंदुओं को आज लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ ने तमिलनाडु और संघ शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को एक साथ लाया है। उन्होंने बताया कि ‘सहयोग संकल्प’ को समापन सत्र में अपनाया जाएगा। श्री श्रीनिवास ने कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य राष्ट्रीय एकीकरण है ।

सम्मेलन में राज्य सरकार के लगभग 350 प्रतिनिधि- जिला कलेक्टर/ जिला पुलिस अधीक्षक और सिविल सोसाइटी/ इंजीनियरिंग विभाग/ खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रतिनिधियों के साथ अन्य लोग भाग ले रहे हैं।