भारत अगले वर्ष मार्च के पहले सप्ताह में 36वें अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस (आईजीसी) की मेजबानी करेगा। नई दिल्ली में आयोजित होने वाली इस कांग्रेस की थीम है- भू-विज्ञान : समावेशी विकास के लिए मूलभूत विज्ञान। आईजीसी को भू-विज्ञानों का ओलम्पिक के लोकप्रिय नाम से भी जाना जाता है। यह प्रतिष्ठित वैश्विक भूवैज्ञानिक सम्मेलन चार वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता है। पूरी दुनिया के 5000-6000 भूवैज्ञानिक इस सम्मेलन में भाग लेते हैं।
कांग्रेस की तैयारी के मद्देनजर कल नई दिल्ली में परिसंवाद कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्घाटन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. राजीवन और कोयला व खान मंत्रालय के सचिव श्री अनिल कुमार जैन ने किया। इस अवसर पर श्री जैन ने कहा कि 36वें आईजीसी के दौरान भू-विज्ञान के सभी प्रमुख क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का मंच प्रदान करेगा। इस सम्मेलन में सहयोगात्मक कार्यक्रम, खनन में निवेश के प्रावधान, खनिजों का उत्खनन, पर्यावरण प्रबंधन और अन्य संबंधित उद्यमों पर विचार-विमर्श किया जायेगा। डॉ. एन. राजीवन ने कहा कि आईजीसी से समावेशी विकास, ऊर्जा संकट, जल संकट, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण के मामले और संसाधन प्रबंधन जैसी समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी।
पृथ्वी विज्ञान सचिव डॉ. एम. राजीवन (बाएं) और कोयला एवं खान सचिव श्री अनिल कुमार जैन (दाएं) कार्यशाला को संबोधित करते हुए।
36वां आईजीसी व्यापक विज्ञान कार्यक्रम है। सम्मेलन के दौरान आधुनिक तकनीक के युक्त एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जायेगा। इस प्रदर्शनी ने खान और खनिज क्षेत्र की अग्रणी कंपनियां अपने उत्पाद और सेवाएं दिखायेंगी। कार्यक्रम के महत्व और विशालता को देखते हुए राज्य भी जोर शोर से इस सम्मेलन में भाग लेंगे।
भारत एकमात्र एशियाई देश है जो दोबारा इस सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। भारत ने पहली बार 1964 में 22वें आईजीसी का आयोजन किया था। इसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था। इस सम्मेलन के लिए खान मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय धनराशि उपलब्ध करायेंगे। सम्मेलन के आयोजन में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) तथा बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका की राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी सहयोग प्रदान करेंगे। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण इस आयोजन की नोडल एजेंसी है।
कार्यशाला में खान मंत्रालय में अवर सचिव डॉ. के. राजेश्वर राव, 36वें आईजीसी के अध्यक्ष पद्मश्री वी.पी. डिमरी तथा खान मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार श्री अशोक चन्द्र तथा 14 राज्य सरकारों ने वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।
भारत अगले वर्ष मार्च के पहले सप्ताह में 36वें अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस (आईजीसी) की मेजबानी करेगा। नई दिल्ली में आयोजित होने वाली इस कांग्रेस की थीम है- भू-विज्ञान : समावेशी विकास के लिए मूलभूत विज्ञान। आईजीसी को भू-विज्ञानों का ओलम्पिक के लोकप्रिय नाम से भी जाना जाता है। यह प्रतिष्ठित वैश्विक भूवैज्ञानिक सम्मेलन चार वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता है। पूरी दुनिया के 5000-6000 भूवैज्ञानिक इस सम्मेलन में भाग लेते हैं।
कांग्रेस की तैयारी के मद्देनजर कल नई दिल्ली में परिसंवाद कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्घाटन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. राजीवन और कोयला व खान मंत्रालय के सचिव श्री अनिल कुमार जैन ने किया। इस अवसर पर श्री जैन ने कहा कि 36वें आईजीसी के दौरान भू-विज्ञान के सभी प्रमुख क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का मंच प्रदान करेगा। इस सम्मेलन में सहयोगात्मक कार्यक्रम, खनन में निवेश के प्रावधान, खनिजों का उत्खनन, पर्यावरण प्रबंधन और अन्य संबंधित उद्यमों पर विचार-विमर्श किया जायेगा। डॉ. एन. राजीवन ने कहा कि आईजीसी से समावेशी विकास, ऊर्जा संकट, जल संकट, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण के मामले और संसाधन प्रबंधन जैसी समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी।
पृथ्वी विज्ञान सचिव डॉ. एम. राजीवन (बाएं) और कोयला एवं खान सचिव श्री अनिल कुमार जैन (दाएं) कार्यशाला को संबोधित करते हुए।
36वां आईजीसी व्यापक विज्ञान कार्यक्रम है। सम्मेलन के दौरान आधुनिक तकनीक के युक्त एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जायेगा। इस प्रदर्शनी ने खान और खनिज क्षेत्र की अग्रणी कंपनियां अपने उत्पाद और सेवाएं दिखायेंगी। कार्यक्रम के महत्व और विशालता को देखते हुए राज्य भी जोर शोर से इस सम्मेलन में भाग लेंगे।
भारत एकमात्र एशियाई देश है जो दोबारा इस सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। भारत ने पहली बार 1964 में 22वें आईजीसी का आयोजन किया था। इसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था। इस सम्मेलन के लिए खान मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय धनराशि उपलब्ध करायेंगे। सम्मेलन के आयोजन में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) तथा बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका की राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी सहयोग प्रदान करेंगे। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण इस आयोजन की नोडल एजेंसी है।
कार्यशाला में खान मंत्रालय में अवर सचिव डॉ. के. राजेश्वर राव, 36वें आईजीसी के अध्यक्ष पद्मश्री वी.पी. डिमरी तथा खान मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार श्री अशोक चन्द्र तथा 14 राज्य सरकारों ने वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।
भारत अगले वर्ष मार्च के पहले सप्ताह में 36वें अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस (आईजीसी) की मेजबानी करेगा। नई दिल्ली में आयोजित होने वाली इस कांग्रेस की थीम है- भू-विज्ञान : समावेशी विकास के लिए मूलभूत विज्ञान। आईजीसी को भू-विज्ञानों का ओलम्पिक के लोकप्रिय नाम से भी जाना जाता है। यह प्रतिष्ठित वैश्विक भूवैज्ञानिक सम्मेलन चार वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता है। पूरी दुनिया के 5000-6000 भूवैज्ञानिक इस सम्मेलन में भाग लेते हैं।
कांग्रेस की तैयारी के मद्देनजर कल नई दिल्ली में परिसंवाद कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्घाटन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. राजीवन और कोयला व खान मंत्रालय के सचिव श्री अनिल कुमार जैन ने किया। इस अवसर पर श्री जैन ने कहा कि 36वें आईजीसी के दौरान भू-विज्ञान के सभी प्रमुख क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का मंच प्रदान करेगा। इस सम्मेलन में सहयोगात्मक कार्यक्रम, खनन में निवेश के प्रावधान, खनिजों का उत्खनन, पर्यावरण प्रबंधन और अन्य संबंधित उद्यमों पर विचार-विमर्श किया जायेगा। डॉ. एन. राजीवन ने कहा कि आईजीसी से समावेशी विकास, ऊर्जा संकट, जल संकट, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण के मामले और संसाधन प्रबंधन जैसी समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी।
पृथ्वी विज्ञान सचिव डॉ. एम. राजीवन (बाएं) और कोयला एवं खान सचिव श्री अनिल कुमार जैन (दाएं) कार्यशाला को संबोधित करते हुए।
36वां आईजीसी व्यापक विज्ञान कार्यक्रम है। सम्मेलन के दौरान आधुनिक तकनीक के युक्त एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जायेगा। इस प्रदर्शनी ने खान और खनिज क्षेत्र की अग्रणी कंपनियां अपने उत्पाद और सेवाएं दिखायेंगी। कार्यक्रम के महत्व और विशालता को देखते हुए राज्य भी जोर शोर से इस सम्मेलन में भाग लेंगे।
भारत एकमात्र एशियाई देश है जो दोबारा इस सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। भारत ने पहली बार 1964 में 22वें आईजीसी का आयोजन किया था। इसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था। इस सम्मेलन के लिए खान मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय धनराशि उपलब्ध करायेंगे। सम्मेलन के आयोजन में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) तथा बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका की राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी सहयोग प्रदान करेंगे। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण इस आयोजन की नोडल एजेंसी है।
कार्यशाला में खान मंत्रालय में अवर सचिव डॉ. के. राजेश्वर राव, 36वें आईजीसी के अध्यक्ष पद्मश्री वी.पी. डिमरी तथा खान मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार श्री अशोक चन्द्र तथा 14 राज्य सरकारों ने वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।