उत्कर्ष उपाध्याय
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है । राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) का साधारण रूप से यह अर्थ है कि यदि किसी व्यक्ति ने कोई ऐसा काम किया है जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा होता है तो राज्य सरकार पर उस पर रासुका लगाकर जेल भेज देती है उदाहरण के रूप में जैसे दंगे होने पर रासुका लगा दी जाती है । इसके तहत एक संदिग्ध व्यक्ति को 1 साल तक एहतियातन हिरासत में रखने का प्रावधान है वह भी बिना किसी आरोप के ।
वर्तमान पशोपेश में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यूं ही अवतरित नहीं हुआ। जहां पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए अपने अपने देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ देने के लिए कटिबद्ध है वहीं भारत जैसे देश में उसे अपने ही नागरिकों को समझाने के लिए कड़े कानूनों का सहारा लेना पड़ रहा है जो कि वाकई में शर्म की बात है । इस कानून को लागू करके राज्य सरकारों का इस समय में उनका कोई निजी स्वार्थ सिद्ध नहीं हो रहा है परंतु अपने ही राज्यों की जनता को एक-दूसरे से सुरक्षा व सुरक्षित वातावरण मिल सके इसलिए इसे इस महामारी के दौरान राज्य सरकार लागू करने पर विवश है । वे दो अहम घटनाएं जो रासूका को अमल में लाने के लिए
गाजियाबाद और इंदौर में रासुका के तहत कार्रवाई- देशव्यापी लॉकडाउन के बीच गाजियाबाद में नर्सों और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में पुलिसकर्मियों के खिलाफ हमले के खबर के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ऐसे लोगों पर रासुका के तहत कार्रवाई करेगी। अस्पताल में नर्सों और अन्य मेडिकल स्टाफ के साथ वहां भर्ती लोगों द्वारा अभद्र व्यवहार किये जाने की घटना के संदर्भ में कहा कि ”मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुये कहा है कि ये न कानून को मानेंगे, ना व्यवस्था को मानेंगे, ये मानवता के दुश्मन हैं।
वहीं इंदौर में मेडिकल कर्मियों पर हमला करने वालों पर भी लगा रासुका-कोरोना वायरस संक्रमण के एक स्थानीय मरीज के संपर्क में आए लोगों को ढूंढने गये स्वास्थ्य कर्मियों के दल पर पथराव की बहुचर्चित घटना में पुलिस ने शुक्रवार को छह लोगों को हिरासत में लिया। पथराव की घटना में दो महिला डॉक्टरों के पैरों में चोटें आयी थीं।