विनोद तकिया वाला
दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान अभिभावकों से मिल रही शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए डिप्टी चीफ मिनिस्टर एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने स्कूलों के लिए सख्त नियम बनाए हैं.
उन्होंने अपने ट्वीट में स्कूलों से स्पष्ट कहा है कि सभी प्राइवेट स्कूलों की ज़िम्मेदारी है कि सभी टीचिंग, नॉन टीचिंग, कॉन्ट्रैक्ट या आउट सोर्स वाले स्टाफ की सैलरी समय से दें. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि ये आदेश सभी प्राइवेट स्कूलों(सरकारी ज़मीनों अथवा प्राइवेट ज़मीनों वाले) पर लागू होंगे.
मनीष सिसोदिया ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आदेश दिए हैं कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूल बिना सरकार से पूछे फीस नहीं बढ़ाएंगे. इसके अलावा वो बच्चों से एक साथ तीन महीने की फीस नहीं लेंगे, केवल एक महीने की ट्यूशन फीस के अलावा कोई अन्य फीस नहीं लेंगे. फीस न देने पर किसी बच्चे को ऑनलाइन क्लास से नहीं हटाएंगे.
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एआनआई से कहा कि मेरे संज्ञान में आया है कि कई स्कूल मनमानी फीस ले रहे हैं और स्कूलों के बंद होने पर भी परिवहन शुल्क वसूल रहे हैं. निजी स्कूलों को इस स्तर तक नहीं जाना चाहिए. निजी हों या सरकारी स्कूल वे फीस नहीं बढ़ा सकते.
इस संबंध में दिल्ली शिक्षा निदेशालय के 17अप्रैल को जारी आदेश में आपदा प्रबंधन एक्ट 2005, दिल्ली एपिडेमिक एक्ट, कोविड 19 रेगुलेशंस 2020 आदि का हवाला दिया गया है. आदेश में कहा गया है कि कोविड 19 के चलते कई अभिभावक जो बिजनेस, प्रोफेशनल या अन्य तरह के व्यवसायों में उनके काम पर असर पड़ा है. ऐसे में कई अभिभावक ऐसे हैं जो एक साथ तिमाही की फीस नहीं भर सकते हैं.
अब जब हालात इस तरह के हैं तो सभी लोग कुछ न कुछ सहयोग देकर देश के लिए अपना योगदान दे रहे हैं. ऐसे में प्राइवेड, एडेड या अनएडेड जो भी स्कूल दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के प्राविधानों में आते हैं, उनसे उम्मीद है कि फीस को लेकर जारी की गई सरकार की गाइडलाइंस को मानेंगे. इसके अलावा ऐसा भी पता चला है कि कुछ 2020’21 एकेडमिक सेशन की फीस बढ़ा रहे हैं. आदेश में स्कूलों से ऐसा कतई न करने की सलाह दी गई है.
कई स्कूल हेड जिन अभिभावकों ने फीस नहीं दी है या असंवैधानिक तरीके से बढ़ी फीस देने से इनकार कर दिया है. स्कूल उनके बच्चों को पढ़ने के लिए ऑनलाइन एक्सेस नहीं दे रहा. स्कूल तिमाही के आधार पर फीस मांग रहे हैं. इसके अलावा जिन अभिभवकों ने असमर्थता जाहिर की है, उनसे भी जबरन फीस उगाही कर रहे हैं.
कई प्राइवेट स्कूलों के बारे में ये बात सामने आई है कि वो अपने टीचर्स को 40 से 50 प्रतिशत सैलरी काटकर दे रहे हैं. आदेश में कहा गया है कि ये नियम के पूरी तरह से खिलाफ है. इससे टीचर्य और नॉन टीचिंग स्टाफ के सामने कई तरह की समस्याएं है.