उत्कृष्टता की ओर अपने सफर के दौरान पश्चिम रेलवे साल दर साल अपने आप को पीछे छोड़ रही है। जब पूरे राष्ट्र में बड़ी संख्या में लोगों की जि़ंदगी पर कोरोना वायरस महामारी का खतरा मंडरा रहा है, तब पश्चिम रेलवे ने सुरक्षा के क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदान करने में सभी बाधाओं को पार कर अनूठा कार्य निष्पादन किया है। पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री आलोक कंसल ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद शानदार उपलब्धियाँ हासिल करने के लिए रेल सुरक्षा बल द्वारा किये गये उल्लेखनीय प्रयासों की सराहना की है।
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी श्री सुमित ठाकुर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक के ऊर्जावान नेतृत्व में पिछला वित्तीय वर्ष पश्चिम रेलवे के लिए विविध गतिविधियों से भरपूर रहा है और विभिन्न विभागों ने कोरोना जैसे घातक वायरस से निर्णायक लड़ाई में अपनी सीमा से परे जाकर प्रमुख भूमिका निभाई है। इसी क्रम में पश्चिम रेलवे के रेल सुरक्षा बल (RPF) ने भी प्रमुख मुख्य सुरक्षा आयुक्त श्री पी. सी. सिन्हा के कुशल नेतृत्व में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान असाधारण कार्यों का प्रदर्शन किया है। वर्ष 2020-21 के दौरान जब राष्ट्र एक अभूतपूर्व राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से गुजरा, तब पश्चिम रेलवे के रेल सुरक्षा बल कर्मचारियों द्वारा रेल परिसम्पत्तियों की सुरक्षा के लिए फ्रंटलाइन स्टाफ के रूप में चौबीसों घंटे कार्य किया गया तथा अत्यावश्यक वस्तुओं की आवाजाही के लिए अपनी चिंता किये बिना हरसम्भव बेहतरीन सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की गई। आरपीएफ की ओर से लॉकडाउन के दौरान रेलवे स्टेशनों के आसपास के क्षेत्रों में जरूरतमंद और गरीब लोगों को भोजन के 3,43,108 पैकेट वितरित किये गये और अन्य आवश्यक सहायता भी प्रदान की गई। रेल सुरक्षा बल ने 1332 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों और मालगाडि़यों के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करने के लिए रेलवे और राज्य प्रशासन के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु का काम किया।
दलालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
श्री ठाकुर ने बताया कि जून, 2020 के बाद से ट्रेन सेवाओं को फिर से शुरू करने के साथ, आरपीएफ कर्मचारियों ने ई-टिकटों की दलाली से निपटते हुए रेलवे प्रणाली और इसके यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने में असाधारण प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है। रेल अधिनियम की धारा 143 के तहत दलाली करने वाले, अवैध टिकट बुकिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करने वाले और अवैध टिकट बेचने वालों पर मुकदमा चलाने पर विशेष जोर दिया गया। इस अवधि के दौरान 752 दलालों को गिरफ्तार किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 8.83% अधिक है और 53,89,054 रु. मूल्य के अग्रिम यात्रा टिकटों को जब्त किया गया। एक उल्लेखनीय सफलता के रूप में रेलवे बोर्ड से प्राप्त सूचना के आधार पर मुंबई मंडल के अंतर्गत सूरत में अवैध रूप से रियल मैंगो सॉफ्टवेयर का उपयोग करने वाले ई-टिकट दलाली रैकेट का भंडाफोड़ किया गया, जिसके परिणामस्वरूप कुल 46 मामले दर्ज किये गये और 48 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।
महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता
पश्चिम रेलवे के रेल सुरक्षा बल द्वारा महिला यात्रियों को उनकी पूरी ट्रेन यात्रा के दौरान समुचित सुरक्षा प्रदान करने के लिए “मेरी सहेली” नामक अनोखी पहल की शुरुआत की गई। इस पहल के अंतर्गत आरपीएफ की महिला अधिकारी और कर्मचारियों की एक टीम बनाई गई है। यह टीम महिला यात्रियों की पहचान करने के लिए महिला डिब्बों सहित सभी यात्री डिब्बों का दौरा करती है। उनकी यात्रा का विवरण जैसे कोच नंबर और सीट नंबर टीम द्वारा नोट किया जाता है, विशेषकर यदि कोई महिला ट्रेन में अकेली यात्रा कर रही है। इस पहल को 7 ट्रेनों में लागू किया गया है। 52 महिलाओं और घर से भागे अथवा बिछड़े 230 बच्चों को पश्चिम रेलवे के रेल सुरक्षा बल द्वारा बचाया गया और उनके माता-पिता से मिलवाया गया अथवा एनजीओ या पुलिस को सौंप दिया गया।
बेहतर प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीकों पर अमल
पश्चिम रेलवे के रेल सुरक्षा बल द्वारा आधुनिकतम तकनीक PRABAL के माध्यम से डेटा का विश्लेषण करके कुल 20 अवैध सॉफ्टवेयरों का पता लगाया गया और 344 मामले दर्ज कर 351 आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ कुल 6375 अवैध टिकट जब्त किये गये। साथ ही 2050 संदिग्ध आईडी को ब्लॉक किया गया। प्रभावी पर्यवेक्षण और ऑन ड्यूटी कर्मचारियों की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए पूरे मंडल के ड्यूटी बीट्स की व्यवस्थित कवरेज सुनिश्चित करने के लिए मुंबई सेंट्रल मंडल पर क्यूआर कोड आधारित ई-पेट्रॉलिंग और बीट मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया गया है।
भारतीय रेलवे पर पहली बार कोविड-19 के दौरान पश्चिम रेलवे के मुंबई सेंट्रल मंडल द्वारा एक महीने के रिकॉर्ड समय में मध्य रेल, महाराष्ट्र पुलिस और एमसीजीएम के साथ समन्वय के ज़रिये क्यूआर कोड आधारित ई-पास प्रणाली विकसित की गई। मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों में अत्यावश्यक सेवाओं के कर्मचारियों की पहुंच को रेग्यूलेट करने के लिए इस प्रणाली की व्यापक रूप से सराहना की गई। पश्चिम रेलवे मुख्यालय, चर्चगेट में आईटी उपकरणों के उपयोग और रेल सुरक्षा बल के कर्मियों के कौशल में तेजी से वृद्धि करने के उद्देश्य से साइबर सेल यूनिट का गठन किया गया है। इस यूनिट ने अवैध टिकट बुकिंग सॉफ्टवेयर की ई-टिकट दलाली के 297 मामलों का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 197% अधिक है।
जागरूकता अभियान
रेल पटरियों को पार करने की खतरनाक और घातक सामाजिक बुराई के खिलाफ मुंबईकरों के बीच जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से ऑपरेशन ‘यमराज’ नाम का एक अनूठा एन्टी–ट्रेसपासिंग अभियान चलाया गया। यह अभियान पश्चिम रेलवे के उपनगरीय खंड के अंतर्गत बांद्रा, अंधेरी, राम मंदिर, मालाड और बोरीवली स्टेशनों पर चलाया गया। यमराज की वेशभूषा में एक आरपीएफ जवान ने प्लेटफॉर्म पर लोगों के साथ-साथ रेल पटरियों के आस-पास की झुग्गियों में रहने वाले लोगों को ट्रेसपासिंग की बुरी आदत से दूर रहने के लिए जागरूक किया। इस अभियान का उद्देश्य मुख्य रूप से ट्रेसपासिंग करने वालों के बीच मनोवैज्ञानिक भय की भावना पैदा करना रहा।
वर्ष 2020-21 में रेल सुरक्षा बल द्वारा हासिल कुछ अन्य प्रमुख उपलब्धियाँ:
• पश्चिम रेलवे के विभिन्न स्टेशनों पर ड्यूटी कर रहे सतर्क आरपीएफ कर्मियों द्वारा अपनी जान को खतरे में डालकर 16 यात्रियों की जान बचाई गई।
• चोरी और डकैती जैसे अपराधों के 70 मामले दर्ज किये गये और इनमें शामिल 88 लोगों को आरपीएफ द्वारा गिरफ्तार कर जीआरपी को सौंपा गया।
• इन 70 मामलों में से 19 मामलों का पता रेल सुरक्षा बल की सक्रिय और सतर्क सीसीटीवी निगरानी की मदद से लगाया गया।
• 11,60,100 रुपये मूल्य के 28.521 किग्रा गांजा जब्त किया गया और इसमें शामिल 5 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। 1 व्यक्ति को 61,400 रु. मूल्य के 266 ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया गया।
• आरपीएफ द्वारा 12,03,294 रु. मूल्य की 1,40,332 बोतलों की बरामदगी के साथ अवैध शराब ले जाने के 156 मामलों का पता लगाया गया और पश्चिम रेलवे के अंतर्गत गुजरात प्रदेश में 150 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।
• 75,92,457 रु. मूल्य के यात्रियों के छूटे हुए 457 सामानों को आरपीएफ द्वारा उनके मालिकों को लौटाया गया।
• 8394 अनधिकृत विक्रेताओं को रेल अधिनियम की धारा 144 के दंडात्मक प्रावधान में गिरफ्तार किया गया तथा 23,41,480 रु. के जुर्माने की वसूली की गई।
• रेल अधिनियम 1989 की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत विभिन्न अपराधों में 23117 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया तथा 69,16,790 रु. के जुर्माने की वसूली की गई।