जब किसी शख्स के साथ अन्याय होता है तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाकर न्याय की गुहार लगाता है… लेकिन जब दूसरे को न्याय दिलाने वाले जज को अपने लिए ही न्याय की मांग करनी पड़े तो मामला बड़ा अटपटा लगता है… ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया है… दरअसल, पटना हाई कोर्ट के 7 जजों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है… यह मामला बिहार सरकार की ओर से पटना हाईकोर्ट के 7 जजों के जीपीएफ अकाउंट्स को बंद करने से जुड़ा है… चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या जजों का जीपीएफ खाता बंद हो गया? याचिकाकर्ता कौन है? मामले को 24 फरवरी के लिए लिस्ट करें… सुप्रीम कोर्ट में इन 7 जजों जस्टिस शैलेन्द्र सिंह, जस्टिस अरुण कुमार झा, जस्टिस जितेन्द्र कुमार, जस्टिस आलोक कुमार पांडेय, जस्टिस सुनील दत्त मिश्रा, जस्टिस चन्द्रप्रकाश सिंह और जस्टिस चन्द्रशेखर झा की ओर से ये याचिका दाखिल की गई है… ये सभी जज न्यायिक सेवा कोटे से 22 जून को जज नियुक्त हुए थे। जज बनने के बाद इन सभी के जीपीएफ अकाउंट को बंद कर दिया गया… बिहार सरकार का कहना है कि इन सभी जजों के जीपीएफ अकाउंट इसलिए बंद किए गए हैं, क्योंकि न्यायिक सेवा में उनकी नियुक्ति साल 2005 के बाद हुई थी… पटना हाई कोर्ट के जजों ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट चुनौती दी है…